बाघों के लिए देश दुनिया में विख्यात सरिस्का बाघ परियोजना पर शिकारियों का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हो सका है। पिछले दिनों तालवृक्ष रेंज में गश्त के दौरान वनकर्मियों ने एक शिकारी को पकड़ा। बावरिया गिरोह के शिकारी की निशानदेही पर बाद में वनकर्मियों ने टोपीदार बंदूक, विस्फोटक सामग्री बरामद की। इससे पहले भी शिकार की ज्यादातर घटनाओं में बावरिया शिकारियों को पकड़ा गया है।
सरिस्का व आसपास के क्षेत्रों में बसे हैं ऐसे परिवार सरिस्का व आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में बावरिया परिवारों की मौजूदगी रही है। सरिस्का तक इन परिवारों की पहुंच में ग्रामीणों की बड़ी भूमिका रही है। खेतों में फसल की निगरानी के लिए ग्रामीण बावरिया परिवारों को लाकर सरिस्का के गांवों में बसाते रहे हैं। वहीं कुछ परिवार रोजगार की चाह में भी सरिस्का व आसपास के क्षेत्रों में आकर बस गए। अब कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं सामाजिक सरोकार के नाम सरिस्का व आसपास बसे बावरिया परिवारों को स्किल डवलमेंट के नाम पर सरकारी सहायता दिलाने में जुटी हैं।
बंदर पकड़वाने व मुर्गी पालन का प्रशिक्षण दिलाने के प्रयास सरिस्का प्रशासन के लिए परेशानी का कारण बने बावरिया शिकारियों को शिकार की घटनाओं से दूर कर अन्य कार्यों में लगाने के लिए प्रयास शुरू किए गए हैं। बावरिया परिवारों को बंदर पकडऩे, मुर्गी पालन सहित अन्य कार्यों में दक्ष करने के लिए किसी अच्छी संस्थाओं की तलाश की जा रही है। इन परिवारों के सदस्यों में स्किल विकसित करने से उन्हें रोजगार मिल सकेगा और वे सरिस्का में शिकार की प्रवृति से दूर हो सकेंगे।
किसी संस्था के माध्यम से स्किल डवलपमेंट के प्रयास सरिस्का के आसपास बसे बावरिया परिवारों के सदस्यों को किसी संस्था के जरिए रोजगार दिलाने के लिए स्किल डवलपमेंट के प्रयास हैं। यह कार्य अभी किसी संस्था को नहीं दिया गया है, प्रयास जारी हैं।
सेढूराम यादव
डीएफओ, सरिस्का बाघ परियोजना