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राजस्थान का सरिस्का शिकारियों की जद में, गिरफ्तार दो शिकारी पहले भी कर चुके बाघों का सफाया

locationअलवरPublished: Sep 21, 2017 07:28:47 am

Submitted by:

Prem Pathak

वर्ष 2003 में अजबगढ़ रेंज के सोमासागर माला पर फंदा लगाकर बाघ को फंसाने और गोली मारकर शिकार करने का आरोप है।

Sariska predators in alwar

Sariska predators in alwar

अलवर.

वर्ष 2004 में बाघ विहीन होने का दंश झेल चुके सरिस्का बाघ परियोजना अभी शिकारियों की जद से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाई है। पूर्व में बाघ सफाया करने के आरोपित अब भी सरिस्का के आसपास ही जमे हैं। मंगलवार को जगन्नाथपुरा चौराहा के समीप स्थित डेरे से दो शिकारियों की गिरफ्तारी से यह सच भी साबित हो चुका है। दोनों गिरफ्तार आरोपितों पर वर्ष 2003 में अजबगढ़ रेंज के सोमासागर माला पर फंदा लगाकर बाघ को फंसाने और गोली मारकर शिकार करने का आरोप है।
एेसे करते थे बाघों का शिकार


सरिस्का प्रशासन की ओर से गिरफ्तार आरोपित कालेड़ा निवासी ग्यारसा व प्रभुदयाल ने वर्ष २००३ में एक बाघ को गोली मारी। बाघ के पांव में गोली लगने से वह लंगड़ाता हुआ भाग गया। बाद में आरोपितों ने घायल हुए बाघ की रैकी की और कुख्यात शिकारी कल्या बावरिया को मदद के लिए बुलाया। शिकारी कल्या बावरिया, ग्यारसा बावरिया, प्रभुदयाल बावरिया, कैलाश एवं एक अन्य ने मिलकर अजबगढ़ रेंज स्थित सोमासागर माला के ऊपर फंदा लगाकर बंदूक की गोली से बाघ का शिकार किया। बाद में सभी शिकारी बाघ को गोलाकाबास के समीप कल्या बावरिया के डेरे पर ले गए और खाल आदि उतारी। वहां थानागाजी से बाघ अंगों के तस्कर हीरालाल को बुलाया और ६० हजार रुपए में उसे बाघ की खाल बेची। बाद में हीरालाल ने बाघ की खाल संसार चंद्र को बेच दी। मामले की वर्ष २००५ में एफआईआर दर्ज हुई और कल्या बावरिया की गिरफ्तारी हुई। कल्या से पूछताछ में बाघ के शिकार से लेकर उसके अंगों को बेचने तक की योजना का खुलासा हुआ।
अब भी बाहर घूम रहे हैं आरोपित


सरिस्का में बाघ सफाये के कई आरोपित पकड़े जा चुके हैं तो कई अभी बाहर घूम रहे हैं। बाहर घूमने वाले शिकारियों की मौजूदगी भी सरिस्का के आसपास रही है। गत दिनों पकड़े गए दो आरोपित भी सरिस्का क्षेत्र में ही रह रहे थे। इसके अलावा गिरफ्तारी से शेष रहे आरोपितों की मौजूदगी भी सरिस्का के इर्द-गिर्द बने डेरों में रही है। सरिस्का प्रशासन की ओर से पूर्व में पकड़े गए शिकारियों की मौजूदगी भी सरिस्का के आसपास डेरों में पाई गई है।
मुखबिर की सूचना पर पकड़ा था


मुखबिर की सूचना मिलने पर सरिस्का, तालवृक्ष रेंज के स्टाफ ने अजबगढ़ रेंज के क्षेत्रीय वन अधिकारी भरतसिंह के नेतृत्व में जगन्नाथपुरा चौराहा के पास बावरियों के अस्थाई डेरों पर दबिश देकर दोनों आरोपितों को पकड़ा। पकड़े गए
संसारचंद्र से कल्या बावरिया तक थी पूरी चेन


सरिस्का बाघ परियोजना में बाघों का सफाया होने के कारण वर्ष २००४ में बाघ परियोजना को सरकार ने बाघ विहीन मान लिया था। इससे पूर्व दो दर्जन बाघ होने के कारण सरिस्का टाइगर रिजर्व की देश की प्रमुख बाघ परियोजना में गिनती होने लगी थी। बाघों की सहज साइटिंग के चलते यहां स्थानीय लोगों की मदद से शिकारी सक्रिय हो गए और एक-एक सभी बाघों का शिकार कर सरिस्का को बाघ विहिन कर दिया। उस दौरान सरिस्का में बाघों के शिकार में मुख्यत: भूमिका कल्या बावरिया गिरोह की रही। इस गिरोह के कुख्यात बाघ अंग तस्कर संसारचंद्र से सम्पर्क होने से बाघों की खाल से लेकर दूसरे अंग तक देश-विदेश तक पहुंच गए। इसका खुलासा जगन्नाथपुरा चौराहा के समीप पकड़े गए दोनों आरोपितों से हुआ।
आरोपित आपस में भाई हैं। इन्हें थानागाजी स्थित न्यायालय में बुधवार को पेश किया गया, जहां से उन्हें चार दिन के रिमांड पर दिया गया है। मामले के जांच अधिकारी रेंजर जनेश्वर सिंह की ओर से आरोपितों से पूछताछ की जा रही है।
मोनाली सेन डीसीएफ, सरिस्का बाघ परियोजना अलवर

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