जीपीएस कॉलर से पता चलेगा बाघ कहां है जीपीएस रेडियो कॉलर लगाने का लाभ यह होगा कि मॉनिटरिंग टीम को बाघ की हर पल की गतिविधि का पता चल सकेगा। जीपीएस के माध्यम से मॉनिटरिंग टीम पता लगा सकेगी कि बाघ की लोकेशन कहां है और वह किस हाल में है।
एसटी-5 के गुम होने व एसटी-11 की मौत के बाद किया निर्णय
एसटी-5 के गुम होने व एसटी-11 की मौत के बाद किया निर्णय
सरिस्का में बाघिन एसटी-5 के गायब होने एवं बाघ एसटी-11 की मौत के बाद स्टैंडिंग कमेटी एवं सरकार ने सभी बाघों के जीपीएस रेडियो कॉलर लगाने का निर्णय किया था। उल्लेखनीय है कि बाघिन एसटी-5 व बाघ एसटी-11 के यदि जीपीएस कॉलर लगा होता तो संभवत: वह इन दिनों सरिस्का की शोभा बढ़ा रहे होते।
सरिस्का में बाघों के रेडियो कॉलर नहीं होने या फिर खराब होने का नुकसान यह हुआ कि कई बार बाघ- बाघिन कई दिनों के लिए गायब हो जाते हैं। इससे सरिस्का प्रशासन को बाघों को ढूंढने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। पूर्व में सरिस्का में टाइगर एसटी-8, एसटी-5, एसटी-4, एसटी-9, एसटी-13, एसटी-14 समेत कई अन्य बाघ कई दिनों तक मॉनिटरिंग टीम से ओझल रहे। हालांकि एसटी-5 को छोडकऱ शेष बाघ कुछ दिनों की मशक्कत के बाद कैमरा ट्रैप, पगमार्क या साइटिंग से मिल गए।
जीपीएस रेडियो कॉलर महंगा है, वर्तमान में इस कॉलर की कीमत करीब 5 लाख रुपए है, जबकि वीएचएफ कॉलर लगभग एक लाख रुपए में उपलब्ध है। यही कारण है कि पूर्व में ज्यादातर बाघों के वीएचएफ कॉलर लगे थे।