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सरिस्का में दो दशकों में 20 बाघों का सफाया, अगर ध्यान देते तो होता रणथंभौर के बराबर

locationअलवरPublished: Jun 14, 2019 02:06:42 pm

Submitted by:

Hiren Joshi

अलवर के सरिस्का बाघ अभ्यारणय में पिछले 2 दशकों में 20 से अधिक बाघ मारे जा चुके हैं, अगर ध्यान दिया जाता तो रणथंभौर जैसा बन जाता सरिस्का।

Sariska Tiger Death More Than 20 Tigers Die In Sariska In Two Decades

सरिस्का में दो दशकों में 20 बाघों का सफाया, अगर ध्यान देते तो होता रणथंभौर के बराबर

अलवर. सरिस्का बाघ परियोजना ( Sariska ) में दो दशक में 20 से ज्यादा बाघों का सफाया हो गया, लेकिन सरकार कार्यवाही के बजाय सरिस्का को कब्रगाह बनते देखती रही। इसी का नतीजा है कि क्षेत्रफल में छोटा होने के बाद भी रणथंभोर ( Ranthambore ) बाघों के मामले में सरिस्का से कोसो आगे निकल गया। इतनी बड़ी संख्या में बाघों की मौत या शिकार के बाद भी एक, दो अधिकारियो पर कार्यवाही कर सरकार ने लीपापोती कर ली।
राज्य सरकार ने वर्ष 2005 में सरिस्का को बाघ विहीन घोषित कर दिया। इससे पहले यहां 15 से 20 बाघों की मौजूदगी बताई गई। शिकारियो की आसान पहुंच के कारण सरिस्का में सभी बाघों का शिकार हो गया और 2005 में खुद सरकार ने माना कि अब सरिस्का में कोई बाघ नहीं बचा।
कमेटियों का हुआ गठन, रिपोर्ट भी दी

बाघों के सफाए के बाद तत्कालीन केंद्र व राज्य सरकार ने अलग अलग कमेटियों का गठन कर बाघों के सफाए के कारण, बाघों का पुनर्वास, सुरक्षा के उपाय तथा बाघों की मौत के दोषी अधिकारी व कर्मचारियो के खिलाफ कार्यवाही की सिफारिश के निर्देश दिए। उस दौरान केंद्र सरकार ने सुनीता नारायणन व राज्य सरकार ने वीपी सिंह कमेटी को यह जिम्मा सौपा। इसमें कमेटियों ने सारिका को फिर से बाघों से आबाद करने के लिए बाघ पुनर्वास को जरूरी बताया।
देश का पहला बाघ पुनर्वास सरिस्का में

कमेटी की सिफारिश पर वर्ष 2008 में सरिस्का में फिर से बाघ को बसाया गया। वर्ष 2008 में रणथंथोर से पहला बाघ सरिस्का आया।

फिर गहराने लगा बाघों पर संकट
बाघ पुनर्वास के करीब एक साल बाद ही सरिस्का में फिर से बाघों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया। पुनर्वास के दौरान रणथंभोर से लाया पहला बाद ग्रामीणों के जहर देने से मर गया। वही 2018 में सरिस्का में बाघों पर फिर मुसीबत आई। इस वर्ष सरिस्का में दो बाघ और एक बाघिन की मौत हो गई। वहीं पिछले दिनों रणथंबोर से लाए गए बाघ एसटी 16 की भी मौत हो गई। इतना ही नही सरिस्का में तीन शावकों का भी अभी तक कोई पता नहीं चल पाया।
एक बार ही सख्त कार्यवाही

सरिस्का में दो दशक में करीब 20 बाघों के शिकार होने के बाद भी केवल एक ही बाघ एसटी 1 की मौत मामले में तत्कालीन डीएफओ व एसीएफ के निलंबन की सख्त कार्रवाई हो पाई। बाघों के शिकार या मोत के अन्य मामलों में कार्यवाही छोटे कर्मचारियो पर तक ही सिमटी रही।
बाघ की मौत की जांच कराएंगे, कार्यवाही होगी

सारिस्का में बाघ एसटी 16 की मौत के कारणों की राज्य सरकार जांच कराएंगे। जांच में दोषी मिले लोगों के खिलाफ कार्यवाही होगी।

सुखराम विश्नोई, वन मंत्री, राज्य सरकार
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