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सरिस्का में बाघों को हो सकता है टेरिटरी का संकट

locationअलवरPublished: Dec 15, 2019 01:10:11 pm

Submitted by:

Prem Pathak

सरिस्का बाघ परियोजना में बसे गांवों का विस्थापन जल्द नहीं हुआ तो बाघों के लिए टैरिटरी का संकट गहरा सकता है। वर्तमान में यहां 13 बाघ व 3 शावक हैं और वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार एक बाघ की टैरिटरी 20 से 30 वर्ग किलोमीटर रहती है।

सरिस्का में बाघों को हो सकता है टेरिटरी का संकट

सरिस्का में बाघों को हो सकता है टेरिटरी का संकट

अलवर. सरिस्का बाघ परियोजना में बसे गांवों का विस्थापन जल्द नहीं हुआ तो बाघों के लिए टैरिटरी का संकट गहरा सकता है। वर्तमान में यहां 13 बाघ व 3 शावक हैं और वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार एक बाघ की टैरिटरी 20 से 30 वर्ग किलोमीटर रहती है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से सरिस्का बाघ परियोजना प्रदेश में बड़े टाइगर रिजर्व में शामिल है। सरिस्का का क्षेत्रफल 1213 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन यहां सघन वन क्षेत्र की कमी है। सघन वन क्षेत्र की कमी का कारण सरिस्का क्षेत्र में करीब 26 गांवों का बसा होना है। यही कारण है कि बाघों का कुनबा और बढऩे पर सरिस्का में टैरिटरी को लेकर संघर्ष बढ़ सकता है।
सरिस्का के ज्यादातर क्षेत्र में गांव बसे

सरिस्का में ज्यादातर क्षेत्र में गांव बसे हैं। गांवों में लोगों के रहने के लिए मकान, झोंपड़ी बनी होने तथा खेती की जमीन के चलते सघन वन क्षेत्रफल कम रह गया है। साथ ही सरिस्का में दुर्गम पहाड़ी होने से भी सघन वन क्षेत्र की कमी है।
बाघों की पसंद है सघन वन क्षेत्र


बाघों की पहली पसंद सघन वन क्षेत्र रहा है। यही कारण है कि ज्यादातर बाघों की टैरिटरी सघन में रहती है। सरिस्का में ज्यादातर बाघों ने सघन वन क्षेत्र में अपनी टैरिटरी बना रखी है। सघन वन में टैरिटरी को लेकर बाघों के बीच संघर्ष भी होते रहे हैं। वैसे पैंथर की पसंद भी सघन वन क्षेत्र रहा है। सघन वन में टैरिटरी को लेकर कई बार बाघों की पैंथरों से भी भिडं़त होती रही है।
20 से 30 वर्ग किलोमीटर होती टैरिटरी

एक बाघ की टैरिटरी 20 से 30 वर्ग किलोमीटर मानी गई है। वर्तमान में सरिस्का में 13 बाघ- बाघिन हैं। वहीं तीन शावक है। इस हिसाब से 500 वर्ग किलोमीटर सघन वन की जरूरत है, जबकि सरिस्का में इतने बड़े क्षेत्रफल में सघन वन की उपलब्धता मुश्किल है। बाघों का कुनबा और बढऩे पर सरिस्का में टैरिटरी का संकट बढ़ सकता है।
एक शावक पहुंच गया था गांव में


पिछले दिनों एक शावक सरिस्का के समीपवर्ती गांव में घूमकर वापस सरिस्का में पहुंच गया। वन्यजीव विशेषज्ञ शावक के गांव में पहुंचने को भी सरिस्का में सघन क्षेत्र की कमी से जोडकऱ देख रहे हैं। हालांकि इससे पूर्व बाघ एसटी-13 एक साल से ज्यादा समय तक राजगढ़ वन क्षेत्र तथा शिकार हो चुका बाघ एसटी-11 भी करीब एक साल तक अलवर के बाला किला जंगल में रहकर वापस सरिस्का लौट चुके हैं।
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