बाघों की पहली पसंद सघन वन क्षेत्र रहा है। यही कारण है कि ज्यादातर बाघों की टैरिटरी सघन में रहती है। सरिस्का में ज्यादातर बाघों ने सघन वन क्षेत्र में अपनी टैरिटरी बना रखी है। सघन वन में टैरिटरी को लेकर बाघों के बीच संघर्ष भी होते रहे हैं। वैसे पैंथर की पसंद भी सघन वन क्षेत्र रहा है। सघन वन में टैरिटरी को लेकर कई बार बाघों की पैंथरों से भी भिडं़त होती रही है।
पिछले दिनों एक शावक सरिस्का के समीपवर्ती गांव में घूमकर वापस सरिस्का में पहुंच गया। वन्यजीव विशेषज्ञ शावक के गांव में पहुंचने को भी सरिस्का में सघन क्षेत्र की कमी से जोडकऱ देख रहे हैं। हालांकि इससे पूर्व बाघ एसटी-13 एक साल से ज्यादा समय तक राजगढ़ वन क्षेत्र तथा शिकार हो चुका बाघ एसटी-11 भी करीब एक साल तक अलवर के बाला किला जंगल में रहकर वापस सरिस्का लौट चुके हैं।