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बाघों का कुनबा बढऩे से सरिस्का की बढ़ी ख्याति, शिकारियों का खतरा भी कम नहीं

locationअलवरPublished: Jun 06, 2020 11:38:20 pm

Submitted by:

Prem Pathak

अलवर. बाघों का कुनबा बढऩे से सरिस्का बाघ परियोजना की ख्याति देश दुनिया में बढ़ी है। पिछले दिनों यहां दो बाघिनों के चार शावक दिखने से यह नेशनल पार्क पर्यटकों को फिर से अपनी ओर लुभाने की राह पर चल पड़ा है, लेकिन इससे शिकारियों का खतरा भी बढ़ गया है।

बाघों का कुनबा बढऩे से सरिस्का की बढ़ी ख्याति, शिकारियों का खतरा भी कम नहीं

बाघों का कुनबा बढऩे से सरिस्का की बढ़ी ख्याति, शिकारियों का खतरा भी कम नहीं

अलवर. बाघों का कुनबा बढऩे से सरिस्का बाघ परियोजना की ख्याति देश दुनिया में बढ़ी है। पिछले दिनों यहां दो बाघिनों के चार शावक दिखने से यह नेशनल पार्क पर्यटकों को फिर से अपनी ओर लुभाने की राह पर चल पड़ा है, लेकिन इससे शिकारियों का खतरा भी बढ़ गया है। यही कारण है कि सरिस्का प्रशासन पूर्व के अनुभवों से सबक लेकर बाघों व शावकों की दिन रात मॉनिटरिंग में जुटा है।
पिछले दिनों बाघिन एसटी-12 के साथ तीन और इससे पहले बाघिन एसटी-10 के साथ एक शावक की फोटो कैमरा ट्रैप में दिखाई दी है। इससे सरिस्का में बाघों का कुनबा बढकऱ अब 20 तक पहुंच गया है। वर्ष 2020 में सरिस्का में 20 बाघ होना सुखद संकेत हैं, लेकिन सरिस्का प्रशासन की चिंता बाघों के कुनबे को सहेज कर रखने और इसमें वृद्धि की है।
पूर्व में बाघों के शिकार की घटनाओं ने दिया सबक

सरिस्का में वर्ष 2005 से पूर्व 20 से अधिक बाघ होने की चर्चा रही है। उस दौरान सरिस्का की ख्याति देश दुनिया में तेजी से बढ़ी, जिससे बड़ी संख्या में पर्यटकों का रुख सरिस्का की ओर हुआ। सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ता देख शिकारी भी सक्रिय हो गए। कुख्यात शिकारी कल्या बावरिया से लेकर अंतरराष्ट्रीय बाघ अंग तस्करी से जुड़े संसार चंद्र व अन्य आपराधिक लोगों की नजर सरिस्का के बाघों पर टिक गई। नतीजतन वर्ष 2005 से पूर्व शिकारियों ने सरिस्का से बाघों का पूरी तरह सफाया कर दिया और मजबूरन राज्य सरकार सरिस्का को बाघ विहिन घोषित करना पड़ा। सरिस्का पर शिकारियों की गिद्ध नजर का सिलसिला यहीं नहीं थमा, बल्कि रणथंभौर से बाघों के पुनर्वास के बाद भी जारी रहा। सरिस्का के अंदर बसे ग्रामीणों ने रणथंभौर से पुनर्वास कर लाए पहले बाघ एसटी-1 का जहर देकर शिकार किया। वहीं बाद में बाघिन एसटी-5 व बाघ एसटी-11 का शिकारियों ने शिकार किया। इससे सरिस्का की ख्याति धूमिल हुई। अब बाघिन एसटी-10, 12 व 14 ने सरिस्का की राह को फिर से संवारा और बाघों का कुनबा फिर से 20 तक पहुंचा दिया।
शिकारियों का खतरा अब भी कम नहीं

सरिस्का में शिकारियों का खतरा अब भी कम नहीं हुआ है। पिछले महीनों शिकारियों की ओर से जंगली सूअर, सांभर, चीतल, नील गाय के अलावा वाटर होल्स पर पक्षियों का भी जहरीला पदार्थ डालकर शिकार करने की अनेक घटनाएं उजागर हो चुकी हैं। पिछले महीनों हुई शिकार की घटनाएं ही सरिस्का प्रशासन के लिए चिंता का कारण है। इससे पूर्व बालेटा के पास नाका में शिकारियों की वनकर्मियों व होमगार्ड के जवान के साथ भिड़ंत हो चुकी है, जिसमें शिकारियों ने फायरिंग कर एक वनकर्मी व एक होमगार्ड जवान को गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
सरिस्का की यह है बड़ी समस्या

सरिस्का बाघ परियोजना की बड़ी समस्या कोर एरिया में बसे गांवों का पूरी तरह विस्थापन नहीं होना है। सरिस्का के कोर एरिया में अभी 3 गांव गांव ही पूरी तरह खाली हो पाए हैं, शेष 6 गांवों के ज्यादातर परिवारों का विस्थापन होना अभी शेष है। इसके अलावा सरिस्का में चारों ओर दीवार नहीं होने तथा नाकों से शिकारियों का आसान प्रवेश भी बड़ी समस्या है। साथ ही सरिस्का में वनकर्मियों की नफरी आवश्यकता से आधी से कम होने से भी समस्या बढ़ी है।
बाघों की सतत मॉनिटरिंग ही उपाय

सरिस्का में बाघों के कुनबे को शिकारियों के खतरे से बचाने के लिए वनकर्मियों की सतत मॉनिटिरिंग ही बड़ा उपाय है। होमगार्ड व बॉर्डर होम गार्डस की सहायता से नाकों की सुरक्षा व जंगल में निरंतर गश्त से शिकारियों की अवैध घुसपैठ पर रोक लगाना संभव है। वहीं वनकर्मियों की टीम से प्रत्येक बाघ व शावक की दिन रात मॉनिटरिंग की जरूरी है।
बाघों की निरंतर मॉनिटरिंग के निर्देश

सरिस्का में बाघों की सुरक्षा के लिए वनकर्मियों की टीम को दिन रात मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं। बाघों की सुरक्षा में वनकर्मियों की टीम जुटी है, वहीं शिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
सेढूराम यादव

डीएफओ, सरिस्का बाघ परियोजना

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