भय के साये में बिताये दिन, घर पहुंच कर मिला सुकून
प्रतिभा ने युद्व के दौरान वहां बिताये दिनों के बारे में बताया कि जैसे ही हम एयरपोर्ट के लिए निकले, रूसी सेना ने एयरपोर्ट को बम से उड़ा दिया। हम पूर्वी यूक्रेन में रहते थे और हमें एयरपोर्ट के लिए पश्चिमी यूक्रेन मेें जाना था। मिसाइल ट्रेकिंग के कारण हमें मोबाइल सहित इन्टरनेट बन्द करने के निर्देश मिले थे। मोबाइल की लोकेशन को बन्द करवाया गया। कीव में सबसे ज्यादा हालात बदतर थे वहां जगह-जगह तबाही का मंजर था, बिजली की सप्लाई बंद थी। जफरोजिया से ल्वीव के लिए निकले और ल्वीव पहुंचकर हमने बस ली वहां से यूक्रेन के एक शहर में होते हुए हंगरी बॉर्डर पार करके ट्रेन पकडकऱ एयरपोर्ट पहुंचे। एयरपोर्ट से परिजनों को फोन कर फ्लाइट मिलने की सूचना दी। गुरुवार को घर पहुंच कर और घरवालों से मिलकर अब सुरक्षित महसूस कर रही हूं।
बेटी को देख नहीं रोक पाए आंसू
प्रतिभा बौद्ध के पिता ताराचन्द बौद्ध बताते हंै कि युद्ध की सूचना के बाद से प्रतिभा की मा मीना बहुत ज्यादा परेशान थी, कई दिनों से खाना पीना छोड़ रखा था और कोई भी काम करते वक्त हाथ कांप रहे थे। मन में बुरे-बुरे ख्याल आ रहे थे और लगातार बेटी के सकुशल घर लौटने की भगवान से प्रार्थना कर रही थी। जैसे ही बुधवार देर शाम बेटी का कॉल आया कि उसे फ्लाइट मिल गई है और वो गुरुवार सुबह भारत लौट रही है। मां मीना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और सुबह बेटी को दिल्ली लेने के लिए तैयार हो गई। गुरुवार को प्रतिभा के पिता ताराचन्द सहित मां मीना और भाई विशाल बौद्ध दिल्ली हवाई अडडे पर पहुंचे। घंटो इंतजार के बाद जब प्रतिभा की फ्लाइट आई और प्रतिभा एयरपोर्ट से बाहर निकली परिजनों की आंखें छलक उठी और पूरा परिवार बेटी को गले लगाकर रोने लगा। बेटी का स्वागत परिजनों ने नम आँखों से किया। ताराचन्द बताते है कि उनकी बेटी मौत के मूंह से आई है और नया जीवन मिला है।
पत्रिका का जताया आभार
यूक्रेन से लौटी प्रतिभा बौद्ध के पिता ताराचन्द ने राजस्थान पत्रिका को धन्यवाद देते हुए आभार जताया और पत्रिका को फोन पर बेटी के आने की सूचना दी। उन्होंने कहा कि पत्रिका ने उनकी बेटी सहित अलवर के बच्चों को यूक्रेन से वापस लाने में अपनी महत्ती भूमिका निभाई है। उन्हीं के सहयोग से प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाई और हमारी बेटी वापिस घर लौट सकी।