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सीनियर सिटीजन डे : शरीर ने दे दिया जवाब तो घर वालों ने निकाल दिया, अब वृद्धाश्रम से बताई अपनी पीड़ा

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अलवरAug 21, 2018 / 04:42 pm

Prem Pathak

सीनियर सिटीजन डे : शरीर ने दे दिया जवाब तो घर वालों ने निकाल दिया, अब वृद्धाश्रम से बताई अपनी पीड़ा

अलवर. सीनियर सीटीजन डे 21 अगस्त को मनाया जाता है, यह दिन उन सभी बुजुर्गों के सम्मान के लिए होता है जिनके अंगुली पकडकऱ हम बढ़े हुए हैं लेकिन अब बुजुर्गों के सम्मान की बातें केवल दिखावा हो गई है। बुजुर्गों पर ध्यान देने की परंपरा अब खत्म होती जा रही है।
सीनियर सीटीजन डे एक दिन पूर्व शहर के वृद्धाश्रम में बुजुर्गो से बातचीत कर उनका हाल चाल जानने के लिए गए तो एक पल उनकीआंखों से आंसू निकल आए, जब उनको बुलाया गया तो उन्हें लगा कि कोई उन्हें लेने आया है। वो धीरे धीरे से आश्रम से बाहर आए। उनकी नजरें अपनों को तलाश रही थीं। लगा शायद कोई उन्हें लेना आया हो, लेकिन किसी को ना पाकर चेहरे की खुशी एक पल में ही गायब हो गई। वृद्धाश्रम में रहने वाले एक दो नहीं बल्कि सैंकड़ों बुजुर्गो को अपनों के आने का इंतजार है।
अलवर के लालडिग्गी निवासी बिहारी लाल सैनी जनवरी 2017 से आश्रम में रह रहे हैं। वह बताते हैं कि उनका अपना घर था जिसमें सब खुशी से रहते थे। अचानक उनका घर बिक गया और वो सडक़ पर आ गए। परिजनों ने उन्हें छोड़ दिया। जनवरी की तेज ठिठुरती सुबह में उनको सडक़ से लावारिस हालत में उठाकर किसी ने आश्रम मेें भिजवा दिया। सदमे से उनके हाथ को लकवा मार गया। वह बड़ी मुश्किल से ठीक से चल पा रहे हैं। जब उनसे घर परिवार की जानकारी चाही तो आंखों में भरे आंसू लेकर चेहरा दूसरी ओर कर लिया। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में बीवी है बेटा है और बहू भी है। लेकिन कोई मिलने नहीं आया। जब भी अकेले होते हैं तो अपने पुराने दिनों को याद करते हैं, हर दिन इंतजार करते हैं कि कोई उनको लेकर जाए। लेकिन वो दिन अभी तक नहीं आया।
कुछ ऐसी स्थिति गोविंदगढ़ के रहने वाले लोकनाथ की है। 70 साल की उम्र में शरीर ने जवाब दे दिया है कोई उनके साथ रहने को तैयार नहीं। बुढ़ापे में उनकी देखभाल करने को तैयार नहीं। जब शरीर सही था तो घर के काम करते थे और सबकी मदद करते थे, लेकिन अब जब उनको मदद की जरुरत है। लेकिन कोई साथ नहीं मिल रहा। इसलिए घर से निकल आए। भूखे प्यासे भटकते रहे और एक दिन बीमार होकर गिर गए। 2 अक्टूबर 2017 को लावारिस हालत में आश्रम में भर्ती कराया गया। परिजनों को बुलाया गया तो कोई आज तक मिलने नहीं आया।

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