लक्ष्मण सिंह वर्ष 2000 में सीआरपीएफ के कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे। उनके पिता आसाराम का कुछ माह पहले ही निधन हुआ है। अब परिवार में माता केसर देवी, भाई मांगेराम जो दिल्ली पुलिस में हैं। दूसरा भाई जय सिंह जीआरपी में हैं। तीनों भाईयों में लक्ष्मण सिंह सबसे छोटे थे। लक्ष्मण सिंह दस मार्च को गांव से परिवार के सदस्यों से मिलकर वापस ड्यूटी गए थे।
गांव में छाया शोक सुकमा में नक्सली हमले की घटना होने के बाद परिवार के सदस्यों को मंगलवार शाम को लक्ष्मण सिंह के शहीद होने की खबर लगी। इसके बाद तो पूरे गांव में शोक छा गया। नक्सली हमले की बड़ी घटना होने के बाद यह समाचारों में बराबर चल रही थी। जिसके कारण ग्रामीणों को इसकी खबर लग गई।
छत्तीसगढ़ कंट्रोल रूम से मिली सूचना लक्ष्मण के शहीद होने की परिजनों को सूचना छत्तीसगढ़ कंट्रोल रूम से मिली। भाई जयसिंह ने बताया कि कंट्रोल रूम से फोन लक्ष्मण की पत्नी के मोबाइल पर आया। उसने गांव का नम्बर दे दिया। इस पर कंट्रोल रूम से गांव में परिजनों को फोन आया। इस पर जयसिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण अलवर आए और शहीद की पत्नी व बच्चों को ढाढ़स बंधाया।
आज होगा सम्मान से अंतिम संस्कार शहीद लक्ष्मण सिंह का पार्थिव शरीर बुधवार दोपहर दो बजे तक गांव पहुंचने की संभावना है। इसके बाद उनका सैनिक सम्मान से अंतिम संस्कार किया जाएगा। घटना की खबर लगने के बाद परिवार के सदस्यों को मंगलवार को ही आना शुरू हो गया था।