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जिले में थमी विकास की रफ्तार, जल्दी चालू करो सरकार

locationअलवरPublished: Jun 06, 2020 11:06:24 pm

Submitted by:

Pradeep

साढ़े सात सालों से अधरझूल अटका मिनी सचिवालय

जिले में थमी विकास की रफ्तार, जल्दी चालू करो सरकार

जिले में थमी विकास की रफ्तार, जल्दी चालू करो सरकार

अलवर. जिला मुख्यालय पर पिछले करीब साढ़े सात सालों से अटका मिनी सचिवालय जैसा बड़ा प्रोजेक्ट आगे के लिए भी अधरझूल में लटक गया है। इसी तरह नया मेडिकल कॉलेज भवन हो या फिर कई हजार करोड़ की चम्बल का पानी लाने की योजना। यह सब सरकारों की प्राथमिकता से दूर हो चुका है। खासकर जब तक कोरोना का संकट समाप्त नहीं हो जाता। इसके अलावा बड़े सडक़ निर्माण कार्य सहित अन्य विकास के कामकाजों का प्रभावित होना भी तय है।
वैसे भी अब सरकारों का चौतरफा राजस्व कट गया है तो विकास के कार्यों को पर्याप्त बजट मिलना आसान नहीं होगा। सरकार ने पहले ही आगामी दो साल तक विधायक व सांसद निधि का मुख्य रूप से उपयोग केवल मेडिकल सुविधाओं पर करने के आदेश दिए हैं।
जिला मुख्यालय पर यूआईटी से उम्मीद
अब जिला मुख्यालय पर केवल अलवर यूआईटी से उम्मीद है। वैसे तो यूआईटी भी केवल भूखण्डों के बेचान से ही बजट जुटाती है। फिलहाल कोरोना के कारण यूआईटी के भूखण्ड भी नीलाम नहीं हो सके हैं। जबकि कोरोना से पहले यूआईटी ने नई आवासीय योजनाओं में रिकॉर्ड तेजी से भूखण्डों का बेचान किया है। इसके बाद कोरोना के चलते लॉकडाउन हो गया। तभी से एक भी भूखण्ड नहीं बिक सका है। जिसे देखते हुए अब यूआईटी ने अब ऑनलाइन भूखण्ड बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मतलब कोई भी व्यक्ति घर बैठे आवासीय योजनाओं में भूखण्ड की बोली लगा सकेगा। जिसकी अधिक बोली होगी उसे भूखण्ड बेचा जाएगा। जिसकी जानकारी भी आमजन को यूआईटी की बेवसाइट के अलावा अन्य तरीके से मिल सकेगी।
मेडिकल कॉलेज की नींव तक नहीं
राज्य सरकार की ओर से नए मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन चिह्नित हो चुकी है लेकिन, अब लगता नहीं है बहुत जल्दी मेडिकल कॉलेज भवन बनाने के लिए सरकार पूरा बजट जारी कर सकेगी। इससे जिले का विकास धीमा होगा। यही नहीं इएसआइसी मेडिकल कॉलेज भी बहुत जल्दी चालू किए जाने जैसे हालात नजर नहीं आते हैं। दोनों सरकारों में उलझे इस मेडिकल कॉलेज को जल्दी शुरू करना भी मुश्किल है। इसके अलावा जिले में कई जगहों पर बड़ी रोड का निर्माण भी रुक गया है। एनसीआर के जरिए कुछ नए प्रोजेक्ट के लिए बजट मिलने की उम्मीदें अब फीकी पडऩे लगी हैं।
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