सरिस्का में बाघिन एसटी-5 को खोज पाना वनकर्मियों व अधिकारियों के लिए अबूझ पहेली बन गया है। सभी तरह के प्रयास के बाद भी करीब डेढ़ महीने बीत जाने पर भी सरिस्का प्रशासन अभी खाली हाथ है। यह भी तब पिछले दस दिनों से हर रोज बाघिन के सिग्नल भारतीय वन्यजीव संस्थान के प्रशिक्षित कर्मियों को मिल रहे हैं।
बाघिन के सिग्नल मिलने के दावों पर सवालिया निशान लगने के बाद अब सरिस्का के अधिकारियों ने बाघिन के सिग्नल रात 8 से 10 बीच मिलने के दावे पर सवाल उठाया है। शुक्रवार को सरिस्का में उच्च अधिकारियों की बैठक में गत तीन व चार अप्रेल को रात 8 से 10 बजे बीच मिले सिग्नल पर भारतीय वन्यजीव संस्थान के कर्मचारियों से सवाल जवाब किए। बाद में उनके सिग्नल मिलने के दावों पर सवालिया निशान लगा उच्च स्तरीय जांच कराने की चेतावनी दी।
सरिस्कार प्रशासन को ही विश्वास नहीं पिछले करीब एक महीने से ज्यादा समय तक सरिस्का प्रशासन की नजरों से बिल्कुल ओझल रही बाघिन एसटी-5 के सिग्नल गत 28 फरवरी से एकाएक मिलने लगे। इतना ही नहीं लगातार आठ दिनों तक बाघिन के सिग्नल मिलने की सूचना पर वनकर्मियों को तलाश को भेजा, लेकिन वे भी खाली हाथ लौट आए। इससे सरिस्का कर्मियों का ही सिग्नल मिलने की बात से विश्वास उठने लगा है। इसी के चलते सरिस्का के आला अधिकारी भी गुरुवार को बाघिन की संभावित टैरिटरी में पहुंचे, लेकिन सिग्नल ही नहीं मिले। इससे सरिस्का प्रशासन का भ्रम और बढ़ गया।
कैमरे लगाने पर की चर्चा बैठक में बाघिन की तलाश के लिए कैमरों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। अब तक सरिस्का में करीब 100 कैमरे लगाए जा चुके हैं। वहीं एनटीसीए प्रोटोकॉल के तहत 300 से ज्यादा कैमरे लगने हैं।
समय तो नहीं बिता रहे: सरिस्का में बाघिन की तलाश को लेकर वन्यजीव प्रेमी भी बाघिन के सिग्नल मिलने, लेकिन उसकी साइटिंग नहीं होने, फोटो, पगमार्क व अन्य किसी प्रकार के अवशेष नहीं मिलने पर कहने लगे हैं कि कहीं यह एनटीसीए प्रोटोकॉल की निर्धारित अवधि बीताने की सोची समझी रणनीति तो नहीं है।