ना पीने को पानी, ना शौचालय की सुविधा यह वह कमरा है जहां पर स्वामी जी साधना किया करते थे, इस साधना कक्ष को ही पनोरमा का रूप दिया गया है। लेकिन यहां पर होने वाली परेशानियों के चलते जो एक बार यहां आता है वो दोबारा आने की हिम्मत ही नहीं करता है। यहां पर ना पर्यटकों के लिए पानी का कोई इंतजाम नहीं है। पानी के अभाव में पर्यटक से यहां से प्यासे ही लौट रहे हैं। इतना ही नहीं परिसर में बने हुए शौचालय में भी पानी नहीं है,इसके चलते ये गंदे ही पड़े हुए है। पानी की कमी के चलते इस स्मारक में लगाए गए पौधे भी अब दम तोडऩे लगे हैं।
एक साल में ही दिखने लगी कमियां इस पनोरमा का शिलान्यास 11 दिसंबर 2016 को तत्कालीन शहर विधायक बनवारी लाल सिंघल व यूआईटी अध्यक्ष देवी सिंह शेखावत ने किया था । दो साल बाद 9 सितंबर 2018 को इसका उदघाटन किया गया। अभी इसे बने हुए मात्र एक साल ही हुआ है लेकिन अभी से ही छतों का पलस्तर उखडने लगा है इससे छत से पानी टपकने लगा है। पानी गिरने से यहां की फर्श खराब हो रही है। इतना ही नहीं साधना कक्ष में भी छत से लगातार पानी आ रहा है। इससे दीवारों पर सीलन आ रही है। यहां की सुंदरता पर निशान साफ दिखाई दे रहे हैं।
स्वामी ने की थी यहां साधना गौरतलब है कि 7 फरवरी से 31 मार्च 1891 तक स्वामी विवेकानंद का अलवर में प्रवास व प्रवचन हुआ था। यह वह स्थान है जहां अलवर प्रवास के दौरान स्वामी विवेकांनद ठहरे थे। उस समय यह बंगाली डॉ गुरु चरण लश्कर का निवास था जहां पर स्वामी जी अनेक सप्ताह तक रूके थे। यहीं पर संध्या वंदना, धार्मिक चर्चाएं हुआ करती थी। प्रार्थना के बाद बंगाली गीतों के स्वर गंूजा करते थे।पाठक भी है परेशानभारत विकास परिषद की ओर से इस परिसर में एक वाचनालय बनाया गया है। जिसमें प्रतिदिन युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आ रहे हैं। लेकिन पुस्तकों के रखरखाव की सही व्यवस्था ना होने के कारण वो भी यहां से दूरी बना रहे हैं। यहां पर पुस्तकों के लिए कोई अलमारी की व्यवस्था नहीं है,पुस्तकें वाचनालय की टेबल पर ही रखी हुई है।
पर्यटकों से बातचीत स्वामी विवेकानंद स्मारक बहुत ही सुंदर जगह है, यह अलवर की अमूल्य धरोहर है। यहां आकर बहुत ही शांति मिलती है। लेकिन प्रचार प्रसार ना होने के कारण पर्यटक यहां पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। महिला शौचालय में पानी नहीं है, इससे महिलाएं यहां आकर परेशान हो रही हैं।रूचि, स्टूडेंटमुझे यह जानकर अच्छा लगा कि स्वामी जी का अलवर से जुडाव रहा है। यहां पर लगी स्वामी विवेकानंद की ध्यान मुद्रा की मुर्ति सबको आकर्षित करती है। पानी और शौचालय की व्यवस्था सुधरे तो पर्यटक भी बढ़ जाएंगे।
देवेंद्र सैनी, पर्यटक वर्जन—यहां पर पानी की व्यवस्था मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को करनी है क्योंकि यह उनके परिसर में ही आता है। यहां पानी नहीं है इसकी जानकारी मुझे आज ही हुई है, कल वहां जाकर व्यवस्थाओं को देखा जाएगा।
तैयब खान, एक्सईएन,यूआईटी, अलवर।