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हुकमचंदों के भरोसे नहीं चलती संस्था, करमचंदों से चलती है : ज्ञानसागर

locationअलवरPublished: Oct 14, 2019 02:23:13 am

Submitted by:

Pradeep

तिजारा के श्रीचंद्रप्रभ दिगंबर जैन देवालय में सप्तम अखिल भारतीय जैन बैंकर्स सम्मेलन संपन्न

हुकमचंदों के भरोसे नहीं चलती संस्था, करमचंदों से चलती है : ज्ञानसागर

हुकमचंदों के भरोसे नहीं चलती संस्था, करमचंदों से चलती है : ज्ञानसागर


अलवर. श्रीचंद्रप्रभ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र तिजारा में प्रशांतमूर्ति आचार्य शांतिसागर महाराज (क्षानी) के हीरक महोत्सव के उपलक्ष में सरको उद्धारक आचार्यश्री ज्ञानसागर महाराज के सान्निध्य में सातवां अखिल भारतीय बैंकर्स सम्मेलन का मंगलाचरण से शुभारंभ हुआ। आचार्यश्री ज्ञानसागर महाराज ने कहा कि अहंकारी व्यक्ति कभी सेवा नहीं कर सकता और ना ही अपनी सोच को सकारात्मक बना पाता है, जरूरत है शालीनता की, आप सभी का समर्पण प्रशंसनीय है। एक तंतु रस्सी नहीं कहलाती है, सभी के सहयोग से ही कोई संस्था लंबे समय तक टिकी रह सकती है। मुझे तो सभी कर्मचंद दिखाई देते हैं, जिस संस्था में हुकमचंद होंगे व संस्था ज्यादा दिन नहीं टिक सकती है। संस्था में करमचंद होंगे तो संस्था अच्छी तरह से समाज सेवा कर सकती है। आप विचारों को शक्तिशाली बनाएं, सहयोग व सेवा की भावना से आपके विचार शक्तिशाली बनते हंै, अपने विचारों में उदारता और समर्पण का भाव लाएं। तभी आपके विचार सशक्त बन सकते हंै। जैन व्यक्ति की ईमानदारी की प्रामाणिकता के कई प्रसंग आप सभी ने सुने हैं, जैन अधिकारी का नाम सुनते ही सभी सहजता से काम करा लेते हैं। अधिकारी की ईमानदारी बहुचर्चित हो जाती थी, हर जिले में इसकी शाखाएं बनें ताकि यह बैंकर्स सम्मेलन ऊंचाई की ओर अपने कदम बढ़ाए। इसमें देश भर के करीब 350 बैंकर्स ने शिरकत की।
प्रारंभ में मंचासीन अधिकारियों को सम्मानित कर श्रीचंद्रप्रभ भगवान के चित्र का एसपी जैन, पवन जैन, राजेश, डीपी जैन, ओपी जैन, संजय बजाज, पुष्प जैन, बाबूलाल जैन, प्रेमसागर, विजय कुमार, अंकुश जैन, जेके जैन, अरुण रपरिया व अजित जैन आदि ने अनावरण कर दीप प्रज्ज्वलन किया। मंच संचालन मनोज जैन आगरा ने किया। एसपी जैन ने स्वागत भाषण के साथ कहा कि हम सभी बहुत पुण्यशाली हंै, जो ऐसे क्षेत्र पर आकर श्रीचंद्रप्रभ भगवान और आचार्यश्री ज्ञानसागर के दर्शन का लाभ मिला। राष्ट्रीय महासचिव जेके जैन वैशाली दिल्ली ने कहा कि आज हम सभी तिजारा क्षेत्र की पावन धरा पर इस कार्यक्रम में शामिल हुए। आचार्यश्री की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से दिल्ली, अलवर, जयपुर, जोधपुर व भीलवाड़ा आदि स्थानों पर भी जैन बैंकर्स की शाखाएं खुल रही हैं। इस सम्मेलन का एक ही लक्ष्य है कि हम सभी का लाभ समाज को मिले। हमारी शाखाएं शिक्षा, चिकित्सा एवं सेवा के क्षेत्र में अनेक तरह के कार्य करें। बैंक संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास किए जाते हैं। बहुत से ऐसे छात्रों की चर्चा की जिनको सही दिशा-निर्देश मिलते ही उनकी समस्याओं का हल हुआ। इसमें अनेक गतिविधियों की चर्चा की गई। बीके जैन अमरीका ने अपने विचार प्रकट किए।
ब्रह्मचारी अनीता दीदी ने कहा कि दो प्रकार के बैंक हैं, एक बाहर का बैंक और एक अंदर का बैंक। बाहर के बैंक में आप जो दौलत रखते हैं, वह तो लुट सकती है, लेकिन हमारी आत्मा का जो बैंक है, उसमें अनंत चतुष्ट्या रूपी संपदा है। वह शाश्वत रहती है। बाहर के बैंक की जानकारी आप सभी दे रहे हैं, लेकिन अंदर के बैंक की जानकारी पूज्यश्री ने दी है। कार्यक्रम में जेके जैन का सर्वोच्च शाखा के लिए केके जैन ने सम्मान किया। सेवानिवृत्त कार्यकारी निदेशक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया आरसी लोढ़ा ने शिक्षा, सेवा, समाधान, पर्यावरण, विज्ञान, धार्मिक व ज्ञानादि को सम्मेलन का उद्देश्य बताया। देहरा जैन मंदिर अध्यक्ष एडवोकेट पवन जैन ने कहा कि सम्मेलन में आए सभी लोगों से उम्मीद है कि वो अच्छी सोच लेकर जाएं। हम पानी का सदुपयोग करें, व्यर्थ नहीं बहने दें, प्लास्टिक का उपयोग ना करें, शादियों में व्यर्थ हो रहे खर्चे व अनेक प्रकार के व्यंजन पर रोक लगे। ऐसी शादियों में नहीं जाने का संकल्प लें। शाकाहारी जीवन जिएं, यही जैन समाज की पहचान है। वहीं सेवानिवृत्त कार्यकारी निदेशक पंजाब एंड सिन्ध बैंक अरविंद जैन ने कहा कि किसी व्यक्ति की जरूरत के लिए सहायता राशि (बैंक ऋण) लें और उसको लौटाने की क्षमता रखें और जरूरतमंदों का सहयोग करें। उन्होंने बैंकिंग प्रणाली की जानकारी दी। देहरा तिजारा कमेटी के सहयोग से कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।
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