इस अवसर पर अखंड पाठ की समाप्ति पर भोग पड़ा और कीर्तन दरबार सजाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत जालंधर से आए रागी जत्थे हरजोत सिंह ने सुन सुन जीवा तेरी वाणी – शबद कीर्तन करके संगत को बताया कि अपनी वाणी से प्रभु का स्मरण करंे। इससे ही आत्मा और परमात्मा का मिलन होगा।
आंखें नम हो गई इसके बाद पंजाब से आए दिलीप सिंह कक्कड, बारामूला से आए अरविंद पाल सिंह और कथा वाचक मीरा कौर ने कीर्तन के माध्यम से संत मस्कीन की यादों को ताजा कर दिया।
मीरी पीरी खालसा समूह ने जैसे ही कीर्तन शुरू किया लोग एकचित्त होकर उन्हें सुनने लगे। उन्होंने कथा के माध्यम से गुरु नानक देव और उनके भक्त लक्ष्मीचंद की कथा सुनाई तो पांडाल में मौजूद संगत की आंखंे नम हो गई।
प्रभु की महिमा बताई छत्तीसगढ़ से आए ज्ञानी रणजीत सिंह ने बताया कि गुरु की वाणी को मानने वाला इंसान कभी भी असफल नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि गुरुग्रंथ साहब में सब धर्मों का सार है। इस मौके पर नैरोबी से आए रागी जत्थे ने भी प्रभु की महिमा को संगत को सुनाया। पंजाब से आए भाई मर्दाना कीर्तन काउंसिल समूह ने बसंत राग सुनाकर बसंतोत्सव का महत्व बताया।
वाटरप्रुफ पांडाल लगाया ज्ञानी सुखविदंर सिंह, ज्ञानी फतहसिंह सहित अन्य कथावाचकों और रागी जत्थों ने गुरुग्रंथ साहिब की महिमा बताई और संत मस्कीन की शिक्षाओं की जानकारी दी। समागम स्थल पर वाटरप्रुफ पांडाल बनाया गया है जिसमें करीब 5 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। यहां पर सुबह से ही अटूट लंगर चल रहा था।
बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रसाद ले रहे थे। कार्यक्रम स्थल पर जोड़ाघर की सेवा,गठडी की सेवा करने के लिए मास्टर सुरजीत सिंह, जसपाल सिंह समूह के सदस्य जुटे हुए थे।