वर्षों से खाली है चिकित्सक का पद
सरिस्का में वन्यजीवों के इलाज के लिए चिकित्सक का पद सृजित है, लेेकिन चिकित्सक की नियुक्ति लंबे समय से नहीं है। वन्यजीव चिकित्सा के लिए नर्स तक नहीं है।
सरिस्का में वन्यजीवों के इलाज के लिए चिकित्सक का पद सृजित है, लेेकिन चिकित्सक की नियुक्ति लंबे समय से नहीं है। वन्यजीव चिकित्सा के लिए नर्स तक नहीं है।
मवेशी व कुत्तों से फैलता है रोग
सरिस्का में बसे गांवों के मवेशियों के पार्क में चराई से बाघ, पैंथर व अन्य वन्यजीवों में टीबी की आशंका सबसे ज्यादा रहती है। मवेशी यहां के जल स्रोतों में पानी भी पीते हैं। भूखा होने पर बाघ अथवा पैंथर कई बार उनका शिकार भी कर लेता है। मवेशियों को खाने से बाघ को घरेलू मवेशियों में पैदा होने वाले रोगों का संक्रमण होने की आशंका रहती है।
पैंथर व बाघों पर कैनाइन डिस्टेंपर का खतरा
सरिस्का में पैंथर, बाघ, जरख आदि में कैनाइन डिस्टेंपर रोग फैलने का खतरा है। यह रोग कुत्तों से फैलता है और सरिस्का में बड़ी संख्या में कुत्ते हैं। सामान्यत: पैंथर कुत्तों का शिकार करते हैं। वहीं बाघ इलाके में नजर आने पर पैंथर को मार डालते हैं। कई बार बाघ के शिकार के अवशेष को कुत्ते, पैंथर, जरख या अन्य वन्यजीव खाते हैं। इससे कैनाइन डिस्टेंपर रोग का खतरा मंडराता रहता है। यह रोग इतना भयानक है कि पिछले दिनों जयपुर के नाहरगढ़ चिडि़याघर में कई बाघों की मौत हो चुकी है।
सरिस्का में पैंथर, बाघ, जरख आदि में कैनाइन डिस्टेंपर रोग फैलने का खतरा है। यह रोग कुत्तों से फैलता है और सरिस्का में बड़ी संख्या में कुत्ते हैं। सामान्यत: पैंथर कुत्तों का शिकार करते हैं। वहीं बाघ इलाके में नजर आने पर पैंथर को मार डालते हैं। कई बार बाघ के शिकार के अवशेष को कुत्ते, पैंथर, जरख या अन्य वन्यजीव खाते हैं। इससे कैनाइन डिस्टेंपर रोग का खतरा मंडराता रहता है। यह रोग इतना भयानक है कि पिछले दिनों जयपुर के नाहरगढ़ चिडि़याघर में कई बाघों की मौत हो चुकी है।