आंखों को ज्यादा नुकसान सेंटर फॉर साइट की डॉक्टर रितिका सचदेव का कहना है कि होली के बाद आखों में एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस, केमिकल से जलना, कॉर्नियल एब्रेजन, ब्लंट आई इंजुरी की समस्या लेकर ज्यादा लोग आते हैं। आंखों में अगर रंग चला जाए, तो आंखें लाल हो जाती हैं और इनमें खुजली या जलन होने लगती है। अगर रंग-गुलाल खेलने के बाद ये लक्षण एक-दो दिन में ठीक नहीं हों, तो फौरन आंखों के डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
नाक-कान का भी ख्याल रखें मिलावटी रंग अगर कान के अंदर पहुंच जाए तो ईयर कैनाल के सेंसेटिव टिश्यू को डैमेज कर सकता है। यह साउंड को इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदलकर ब्रेन तक पहुंचाती हैं। इनके डैमेज होने का असर बहरेपन के रूप में हो सकता है। बाजार से रंग खरीदते समय ध्यान दिया जाना जरूरी है कि पैक पर मैन्यूफैक्चर का नाम जरूर लिखा हो। उसकी डेट भी देख लें कि पैकिंग पुरानी तो नहीं है। कई बार मिलावटी रंग बनाने वाले पकड़े जाने से बचने के लिए पैक पर अपना नाम और पता नहीं छापते हैं। वे रंग की कीमत सस्ती रखते हैं, जिससे बिक्री हो सके।
डॉ. अनिता माथुर, विशेषज्ञ, ईएनटी विभाग
डॉ. अनिता माथुर, विशेषज्ञ, ईएनटी विभाग
स्किन को भी हल्के में नहीं लें होली के अगले दिन स्किन पर इन्फेक्शन के ढेरों मामले आते हैं। स्कीन का कलर बदलना, खुजली होना या जलन होना कॉमन दिक्कत है। उनका कहना है कि रंग में मिले केमिकल स्कीन के संपर्क में आते हैं तो स्कीन पर मौजूद छोटे छोटे टिश्यू को मारना शुरू कर देते हैं। जहां ज्यादा असर होता है वहां इन्फेक्शन ज्यादा देखा जाता है। प्राकृतिक रंग के इस्तेमाल से इस दिक्कत से बचा जा सकता है। सिंथेटिक रंगों में हाइड्रोकार्बन, हाइड्रो क्यूनोंस, पैराबेन्स आदि हानिकारक रसायन होते हैं, जो स्किन पर खराब असर डालते हैं। इन रंगों के इस्तेमाल से त्वचा पर खुजली, लाली, चकत्ते, फफोले, स्किन काली होने जैसी शिकायतें आ सकती हैं। समय रहते इलाज न कराने पर संक्रमण भी हो सकता है।
डॉ. राहुल गुप्ता, त्वचा रोग विशेषज्ञ
डॉ. राहुल गुप्ता, त्वचा रोग विशेषज्ञ