पांच सौ साल पुरानी है बावड़ी
ग्रामीण अनूप मीना कि बावड़ी गांव में बनी प्राचीन व ऐतिहासिक बावडी करीब पांच सौ वर्ष पुरानी है। यह बावड़ी ग्रामीणों की प्यास बुझाती थी। महिलाएं व पुरूष नहाने धोने के साथ ही पानी पीने के लिए उमड़ा करते थे। करीब तीस वर्ष पूर्व बावड़ी में पर्याप्त पानी भरा हुआ था। भूजल स्तर नीचे चले जाने के कारण यह बावड़ी सूख गई है। अब कोई भी ग्रामीण बावड़ी को देखने नहीं जाता है।
बावड़ी के नाम से पड़ा गांव का नाम
बावड़ी गांव के बुजुर्ग मांगेलाल मीना, शिवराम का कहना है कि प्राचीन बावडी के नाम से ही गांव का नाम बावड़ी रखा गया है। सभी लोग राजगढ़ -अलवर मार्ग पर हमारे गांव को बावड़ी के नाम से जानते है। यह बावड़ी पेयजल स्रोत्र का मुख्य साधन थी। बावड़ी के कुएं के पास गोमुख लगा हुआ था। जिसमें से होकर पानी भरा जाता है। अब बावड़ी सहित आस-पास का पूरा क्षेत्र जर्जर हो चुका है। रामस्वरूप मीना, किशन लाल मीना का कहना है कि एेतिहासिक बावड़ी मरम्मत नहीं होने के कारण अपना अस्तित्व खोती जा रही है। इस ओर न तो सरकार ही ध्यान दे रही है और न ही आमजन इस के प्रति जागरूक है।