ये थी शिविर की खासियत
शिविर के दौरान प्रशिक्षणार्थियों ने सामूहिक यज्ञ किया। जिसमें प्रशिक्षणार्थियों ने सस्वर वेदपाठ कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। शिविर की सबसे खास बात यह थी कि पहली बार आयोजित इस शिविर को लेकर शहरवासियों में काफी उत्साह दिखाई दिया। इसमें करीब ४० प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। जिनकी उम्र ६ साल से लेकर ५० साल तक थी। प्रत्येक अलग- अलग विषयों का प्रशिक्षण दिया गया। समापन पर सभी अतिथियों का सम्मान किया गया। प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।
कभी रूठना न मुझसे तू सांवरे…
अलवर. कभी रूठना न मुझसे तू श्याम सांवरे, मेरी जिंदगी तो तेरे नाम रे… को सुनकर श्रद्धालु झूम उठे, मौका था नगर परिषद के सामने सेठ सांवरिया मित्र मंडल की ओर से आयोजित एक शाम संावरिया के नाम का।
जिसमें कलकत्ता से आए भजन गायक संजय मित्तल ने अपनी मधुर आवाज में श्याम भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। मित्तल का गाया भजन हारे के सहारे आजा, हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं और याद क्यों न आएगी, क्यों न मुझको रूलाएंगी…भजन पर श्रद्धालु स्वर से स्वर मिलाने लगे। कैसे नैया होगी पार, टूट गई पतवार नया पार लगा जा भजन को भक्तों ने खूब सराहा। इस अवसर पर वृंदावन बरसाना से आई पूर्णिमा दीदी ने भी मनमोहक भजनों की प्रस्तुति दी। इसके अलावा जयपुर की निशा गोविंद, अलवर के प्रेमसिंह राठोर, लुधियाना के कुश कन्हैया, दिल्ली के गोपाल भारद्वाज ने देर रात तक भजनों की
प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के लिए कोलकाता के कारीगरों की ओर से विशेष दरबार सजाया गया। बाजार को रंग बिरंगी रोशनी से सजाया गया। नगर परिषद व होपसर्कस पर भी विशेष रोशनी की गई थी। हजारों की संख्या में श्याम भक्त श्याम बाबा के दर्शनों के लिए उपस्थित थे। भजनों के दौरान श्रद्धालु श्याम बाबा के जयकारे लगाते रहे। श्याम भक्तों के बैठने के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। साथ ही छप्पन भोग की झांकी सजाई गई और इत्र की वर्षा भी की गई।