करीब तीन बीघा क्षेत्र में फैला है किला- थानागाजी का किला करीब तीन बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। किले में भगवान सीताराम व देवी माता की प्रतिमाएं स्थापित हैं,जिनकी ग्रामीण पूजा करते हैं। अलवर रियासत में शामिल होने से पूर्व यह थानागाजी का किला बादशाह अकबर के सिपहसालार गाजी खां के अधीन था, जिसने इसमे चौकी कायम की थी। थानागाजी का नाम गाजीकाथाना पड़ा था।
तिजारा गुम्बद की नहीं बनी पहचान- तिजारा ऐतिहासिक यह गुम्बद भृर्तहरि गुम्बद के नाम से प्रसिद्ध है । जो तिजारा क्षेत्र का ह्रदय स्थल के रूप में जाना जाता है । क्षेत्रवासियो के लिए यह गुम्बद ऐतिहासिक एवं धार्मिक आस्था का केन्द्र है । यह माना जाता है कि जब गुम्बद का निर्माण हो रहा था उस दौरान उज्जैन के महाराजा भृर्तहरि भी तिजारा आए थे और निर्माण के दौरान मजदूरी की थी । श्रमिकों को जब भी पारिश्रमिक दिया जाता तो वह नदारद रहते । अगले दिन महाराजा भृर्तहरि मजदूरी करने फिर हाजिर हो जाते । तभी से इसका नाम भृर्तहरि गुम्बद के नाम से विख्यात हो गया । तिजारा कस्बे में शंकर गढ़ आश्रम के पास स्थित है । करीब 240 फीट ऊंचे इस गुम्बद में आठ बड़े स्तम्भ है । इन गुम्बदों में कमरे बने हुए हैं । काफी बड़े क्षेत्र में फैले इस गुम्बद की ऊपरी मंजिल पर 23 गुमटिया बनी हुई हंै । देख रेख के अभाव में कुछ घुमटिया खंडित है । गुम्बद के अन्दर व स्तम्भो पर कलात्मकता एवं वास्तुकला का बेजोड़ नमूना अपनी स्वर्णिम आभा बिखेर रही है । भृर्तहरि गुम्बद पुरातत्व विभाग के अधीन है । इसकी हालत को देखकर निराशा छा जाती है । उसके चारों ओर झाड़ झंकार खड़े हैं । चारो ओर खाई बनी हुई है जिसमे गन्दगी का आलम है । कस्बे वासियो की मांग है कि यह बहुत अच्छा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए । पर्यटन स्थल विकसित होने पर यहां देशी विदेशी सैलानी आकर भृर्तहरि गुम्बद की छटा को निहार सकते हैं तथा रोजगार भी मिल सकता है ।