जिसमें गांव सहजपुर में पुलिस व प्रशासन की ओर से हटाई प्रतिमा को ससम्मान उसी स्थान पर स्थापित कराने, लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेकर उन्हें रिहा करने, गांव में सामुदायिक भवन व अम्बेडकर पार्क के लिए भूमि आवंटित करने, श्मशान भूमि उपलब्ध कराने आदि की मांग की गई। डॉ. भीमराव अम्बेडकर अत्याचार विरोधी संघर्ष समिति के आह्वान पर सोमवार सुबह महिला-पुरुष सूर्यनगर में एकत्र हुए।
यहां से वे रैली के रूप में विभिन्न मार्गों से होते हुए कलक्ट्रेट पहुंचे। जहां कलक्ट्रेट का घेराव किया गया। बाद में समाज का एक 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल जिला कलक्टर से मिला और राष्ट्रपति के नाम मांगों का ज्ञापन सौंपा। इस दौरान समाज के लोगों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो लोकसभा उपचुनाव का बहिष्कार किया जाएगा। समिति के खेमचंद धामाणी ने बताया कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, प्रतिमा स्थल पर लोगों का धरना जारी रहेगा।
छावनी बना कलक्टे्रट, तैनात रहा पुलिस जाप्ता प्रतिमा विवाद मामले को लेकर भारी संख्या में लोगों के रैली के रूप में कलक्ट्रेट पहुंचने की सूचना पर कलक्ट्रेट परिसर को छावनी बना दिया गया। कलक्ट्रेट गेट पर खुद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुख्यालय श्यामसिंह, एएसपी ग्रामीण डॉ. मूलसिंह राणा, पुलिस उपाधीक्षक जयसिंह नाथावत सदर व महिला थाने के जाप्ते के साथ मौजूद रहे। वहीं, रैली के दौरान शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस उपाधीक्षक सांवरमल नागौरा के नेतृत्व में एनईबी, शिवाजी पार्क, अरावली विहार थाने का जाप्ता तैनात रहा।
रैली में समाज विशेष के लोग हाथों में लाठियां लेकर निकले। समिति के संयोजक सूरजमल कर्दम ने बताया कि रैली में अलवर सहित भरतपुर, दौसा, आगरा , मथुरा से भी समाज के लोगों ने हिस्सा लिया। निकाली गई रैली में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष टीकाराम जूली के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया। दलित शोषण मुक्ति मंच के जिला सहसंयोजक शेरसिंह के नेतृत्व में डीएसएमएस कार्यकर्ता, माक्र्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी की जिला सचिव रईसा के नेतृत्व में माकपा कार्यकर्ता व एसएफआई कार्यकर्ताओं ने भी रैली में भाग लिया।
ये था मामला अलवर-भरतपुर मार्ग स्थित गांव सहजपुर में शुक्रवार रात डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर विवाद हो गया। विवाद में पुलिस व ग्रामीण आमने-सामने हो गए। इस दौरान पथराव में रामगढ़ थाना प्रभारी सहित चार पुलिसकर्मियों को चोटें आई, जिनमें दो महिला पुलिसकर्मी शामिल थे। पथराव में पुलिस की दो गाडि़यों के शीशे भी फूट गए। जवाब में पुलिस ने भी लाठी भांजी। इससे भगदड़ मच गई।
बाद में पुलिस प्रतिमा को जब्त कर थाने लाई और मामले में दस जनों को गिरफ्तार किया। मामले में एमआईए थाना प्रभारी ने लगभग सौ लोगों के खिलाफ राजकार्य में बाधा व सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने एवं जानलेवा हमला करने का मामला भी दर्ज कराया। घटना के बाद पुलिस कार्रवाई के विरोध में दलित समाज के लोग प्रतिमा स्थल के समीप ही धरने पर बैठ गए।