आरओ प्लांट संचालक कैम्परों में पानी भरकर दुकानों व विभिन्न सरकारी कार्यालयों में पानी रखते हंै। ये लोग सादा पानी में बर्फ व यूरिया मिलाकर सप्लाई करते हैं। आरओ पानी के नाम पर जो पानी बाजार में बिक रहा है उसकी गुणवत्ता को लेकर भी जलदाय विभाग व स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता है। आरओ प्लांट संचालक सादा पानी में यूरिया मिला देते हैं जिससे वह पानी दिनभर ठंडा रहता है तथा पानी का स्वाद भी आरओ के पानी जैसा रहता है। ऐसे में लोगो के लिए आरओ व यूरिया तथा बर्फ के पानी में फर्क करना मुश्किल हो रहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग आरओ प्लांट का जब निरीक्षण करता है तो उन्हें साफ-सफाई को लेकर ही दिशा निर्देश देते हंै लेकिन पानी की गुणवत्ता को लेकर किसी तरह की कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाती है।
कानून का मिल रहा लाभ खाद्य सुरक्षा अधिकारी कहते हैं कि उनको केवली सीलबंद पानी की जांच करने का ही अधिकार है । खुले पानी की जांच वे नहीं कर सकते जिसका लाभ क्षेत्र के आरओ संचालक उठा रहे हैं और अशुद्ध पानी धड़ल्ले से बेच रहे हैं।
बढ़ रही है आरओ के पानी की मांग ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब लोग सादा पानी की जगह पीने व खाना बनाने के लिए आरओ के पानी का इस्तेमाल करने लगे हंै। ऐसे में कस्बे के साथ ही गांवों में भी आरओ प्लांट खुल गए हैं। वहीं जो व्यक्ति घर पर बाजार से आरओ खरीद कर लगाने में सक्षम नहीं है वह आरओ प्लांट से आरओ पानी के कैम्पर मंगाने को मजबूर हैं। आरओ प्लांट मालिक के लिए बड़े स्तर पर आरओ पानी की पूर्ति करना मुश्किल हो रहा है। पानी की पूर्ति करने के लिए सादा पानी में यूरिया व बर्फ डाल कर ठंडा किया जा रहा है। जो कि आमजन की सेहत से खिलवाड़ है।