अलवर. शहर के चर्चित मधुसूदन आश्रम के संत रामानुजाचार्य कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य फलाहारी महाराज श्रद्धालुओं के समक्ष भोजन में केवल फलाहार करने और गंगाजल पीने का हवाला देते थे। करीब ढाई दशक से ज्यादा समय से अलवर में प्रवास के दौरान उन्होंने वर्षा के लिए यज्ञ सहित अनेक अनुष्ठान किए। साथ ही आश्रम के समीप ही करीब दो साल पहले श्रीवेंकटेंश तिरूपति बालाजी दिव्य धाम का निर्माण कराया। इसके अलावा शहर के समीप ही गोशाला का भी निर्माण कराया।
रामानुजाचार्य कौशलेन्द्र प्रपन्नाचार्य फलाहारी के हजारों की संख्या में श्रद्धालु हैं। इनका राजनीति से गहरा लगाव रहा है। इनके अलवर में आने के बाद ये एक भाजपा नेता के सम्पर्क में आए। इन्होंने उनके निर्दलीय विधानसभा चुनाव लडऩे पर जम कर चुनाव प्रचार किया। बाद में ये अलवर की राजनीति में रच-बस गए। इनके आश्रम में कई राजनेता नियमित रूप से आते रहे हैं।
कौशलेन्द्र प्रपन्नाचार्य फलाहारी के नाम के आगे फलाहारी जुड़ा हुआ है। ये हमेशा फलों को आहार के रूप में लेते हैं और गंगाजल पीते हैं। इनके शिष्य देश के कई राज्यों में हैं। इनके अलवर, छत्तीसगढ़ सहित कई अन्य स्थानों पर भी आश्रम हैं।
रामानुजाचार्य कौशलेन्द्र प्रपन्नाचार्य फलाहारी किसी भी शिष्य को छूते नहीं हैं। इनके हाथ में हमेशा एक डंडा रहता है। यदि किसी शिष्य को उन्हें आशीर्वाद देना होता है तो वे मात्र उसके शरीर पर डंडे से स्पर्श करते थे। गुरु पूर्णिमा के दिन ही इनके पैर छू सकते थे, जबकि अन्य दिनों में शिष्यों को पैर छूने की इजाजत नहीं थी। घटना के दिन भी सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आश्रम आकर उनसे आशीर्वाद लिया था।
रामानुजाचार्य कौशलेन्द्र प्रपन्नाचार्य फलाहारी मूलत: अलवर जिले के नहीं हैं। करीब ढाई दशक पूर्व अलवर में आए और नारायणी धर्मशाला में रहे। अलवर के एक औद्योगिक घराने की महिला ने इनकी सहायता की और वे यहां प्रवचन देने लगे। इन्होंने स्कीम नंबर दो के एक प्रतिष्ठित मंदिर में डेढ़ दशक पूर्व भागवत कथा की जिससे इन्हें अलवर में पहचान मिली। ये भागवत कथा का वाचन करने कई प्रदेशों में भी जाते रहे हैं।
कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य ने सन् २००४ में अलवर की रामकिशन कॉलोनी में मधुसूदन वेद आश्रम की स्थापना की। इस आश्रम की ख्याति कुछ ही वर्षों में जिला ही नहीं दूर दराज से तक पहुंच गई। यहां काफी संख्या में देश के विभिन्न भागों से आकर बच्चे वेद की शिक्षा ग्रहण करते हैं। यहां भगवान वैंंकटेश का भव्य मंदिर बनाया गया जिसके प्राण प्रतिष्ठा समारोह में दक्षिण भारत के काफी संतों ने भाग लिया। इस अवसर पर अलवर आध्यात्मिक नगरी के रूप में बदल गया। इस अवसर पर कई प्रदेशों के श्रद्धालुओं ने शिरकत की थी।
7 अगस्त 2017
इस दिन अलवर पहुंची युवती। बाबा के शिष्य ने उसे आश्रम के एक कमरे में ठहराया।
शाम 7 बजे बाबा के एक शिष्य ने उसका दरवाजा खटखटाया और कहा कि महाराज ने बुलाया है।
शाम 7.30 बजे युवती बाबा के कमरे में पहुंची।
बाबा ने पहले घरवालों के बारे में पूछताछ की, फिर लैपटॉप चालू कराया।
इसके बाद बाबा ने शिष्यों को जाप के लिए नहाने भेज दिया और युवती से अश्लील हरकतें शुरू कर दी।
तुम बहुत पवित्र हो, सबसे पहले तुम्हारे साथ सम्बन्ध बनाएंगे। सम्बन्ध बनाने से पहले जड़ी-बूटी खाएंगे, जिससे तुमको पुत्र प्रदान कर सकें।
सुबह 5-4.30 बजे बाबा का शिष्य युवती को स्टेशन छोड़कर आया।
युवती अलवर से ट्रेन में बैठकर जयपुर पहुंची।
युवती ने 11 सितम्बर 2017 को विलासपुर में बाबा के खिलाफ कराया यौन शोषण का मामला दर्ज।
पुलिस ने युवती का मेडिकल करा उसके 164 के बयान दर्ज किए।
बिलासपुर पुलिस का एक एएसआई मामले की डायरी लेकर दोपहर १२ बजे अलवर पहुंचा। इसके बाद अरावली विहार थाना पुलिस में मामला दर्ज करने की कार्रवाई शुरू हुई। हां मैंने भी मामले की जानकारी की है। मुझे तो षड़यंत्र की गंध आती है। जिसका कारण यह है कि एक तो इतने दिनों बाद परिवादी ने मामला दर्ज कराया। दूसरा अलवर की पुलिस पर भरोसा क्यूं नहीं है। मुझे विश्वास है अलवर की पुलिस इसकी तह तक जाकर सच्चाई को उजागर करेगी।
पं. धर्मवीर शर्मा, जिलाध्यक्ष भाजपा अलवर
बनवारी लाल सिंघल, शहर विधायक अलवर