अज्जू की गर्दन पर एक ही जगह पांच से छह वार इतनी तेजी से किये गए थे कि अज्जू की गर्दन धड से अलग हो गई थी। इसी तरह से हैप्पी के हाथ को भी हत्यारों ने गोदा हुआ था। एेसा लगता है कि वो हत्यारों के सामने हाथ जोड़कर नहीं मारने की भीख मांग रहा होगा। इस दौरान उसके हाथ में चाकू घोप दिया। जबकि एक अन्य बच्चा करवट लेकर सो रहा था, हत्यारों ने उसकी गर्दन पर कान के पास चाकू से हमला कर दिया। हमला कई बार तेजी से किया गया। डॉक्टरों ने कहा कि इस तरह का मामला पहले कभी नहीं आया।
बनवारी को खिलाया प्यार से खाना
खाने में नींद की गोली मिलाने के बाद 2 अक्टूबर की रात को संतोष ने कई सालों बाद बनवारी को बड़ी मान-मनुहार कर ज्यादा खाना खिलाया। इसके पीछे उसका उद्देश्य उसे गहरी नींद में सुलाना था। रात को हत्या से पहले भी उसके साथियों ने बनवारी को हिला-डुलाकर चैक किया। इसके बाद हनुमान के साथियों ने उसके पैर दबा लिए और हनुमान ने उसकी गला काट हत्या कर दी।
खाने में नींद की गोली मिलाने के बाद 2 अक्टूबर की रात को संतोष ने कई सालों बाद बनवारी को बड़ी मान-मनुहार कर ज्यादा खाना खिलाया। इसके पीछे उसका उद्देश्य उसे गहरी नींद में सुलाना था। रात को हत्या से पहले भी उसके साथियों ने बनवारी को हिला-डुलाकर चैक किया। इसके बाद हनुमान के साथियों ने उसके पैर दबा लिए और हनुमान ने उसकी गला काट हत्या कर दी।
दो साल से थी हनुमान से दोस्ती
संतोष की हनुमान से करीब दो साल पहले जान-पहचान हुई। हनुमान मालाखेड़ा से शारीरिक शिक्षक का कोर्स कर रहा था। दोनों की जान-पहचान धीरे-धीरे दोस्ती व बाद मेें प्यार में बदल गई। हनुमान अविवाहित था। वहीं, संतोष के तीन बच्चे थे।
संतोष की हनुमान से करीब दो साल पहले जान-पहचान हुई। हनुमान मालाखेड़ा से शारीरिक शिक्षक का कोर्स कर रहा था। दोनों की जान-पहचान धीरे-धीरे दोस्ती व बाद मेें प्यार में बदल गई। हनुमान अविवाहित था। वहीं, संतोष के तीन बच्चे थे।
स्कूल में सभी बच्चों की संतोष भरती थी फीस संतोष व उसकी बहन के बच्चे स्कीम चार स्थित आदर्श विद्या मंदिर स्कूल में पढ़ते थे। स्कूल प्रबंधन के अनुसार स्कूल में सभी बच्चों की फीस जमा कराने संतोष आती थी। वह सभी बच्चों की फीस एक साथ देकर जाती थी। स्कूल के अध्यापक भी उसके बहन के बच्चों से प्रेम की सराहना करते थे।
सभी बच्चे ताइक्वांडो के थे अच्छे खिलाड़ी संतोष के तीनों बच्चे भी ताइक्वांडो के अच्छे खिलाड़ी थे। वे अलवर से बाहर भी कई बार खेलने गए। तीनों बच्चों को संतोष ही ट्रेनिंग देती थी। जानकारी के अनुसार संतोष के दो बच्चे तो ताइक्वाडो में नेशनल तक खेलने गए। जिनके सर्टिफिकेट उन्होंने स्कूल के अपने साथियों को भी दिखाए।
जम्मू कश्मीर तक गई घूमने पुलिस पूछताछ में सामने आया कि संतोष पहले साहब जोहड़ा स्थित एक मकान में परिवार सहित किराए पर रहती थी। वह यहां एक निजी स्कूल में पढ़ाती थी। स्कूल संचालक से उसके अच्छे संबंध थे। वर्ष 2014 से 2016 तक स्कूल में पढ़ाने के दौरान वह स्कूल ट्रिप पर कई बार जम्मू-कश्मीर, कटला सहित कई जगह घूमने गई। फरवरी 2016 में उसने छोड़ दिया और परिवार शिवाजी पार्क 4 ‘क’ में आकर रहने लग गई।