यह कहानी है यहां केडलगंज स्थित ठाकुरदास शिक्षा समिति की ओर से संचालित बालिका आश्रय गृह में रह रही एक बालिका की। वह मूल रूप से हरसौली क्षेत्र की रहने वाली है। परिजनों ने 28 फरवरी को फुलेरा दोज पर उसका दो अन्य बहनों के साथ विवाह करना चाहा। दोनों बड़ी बहनें तो बालिग थी लेकिन वह खुद नाबालिग थी।
उसने विवाह का विरोध किया और उसे रुकवाने के लिए पुलिस से मदद मांगी। प्रशासन ने विवाह तो रुकवा दिया लेकिन बाद में उसकी सुध नहीं ले रहा। बालिका चाहती है कि प्रशासन उसको आगे पढऩे में मदद करे ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके। बालिका ने पत्रिका रिपोर्टर से कहा, यूं तो प्रशासन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के लिए गांव गांव अलख जगा रहा है लेकिन उसकी कोई सुध नहीं ले रहा।
वह कहती है, मैं अब पढऩा चाहती हूं। प्रशसान मेरी मदद करे। अलवर में कार्यरत बाल कल्याण समिति ने भी उसे आगे पढ़ाने का कोई प्रयास नहीं किया। वह कहती है परिवार की कमजोर माली हालत के चलते उसकी पढाई उस समय छुड़वा दी गई थी जब वह 9 वीं में ही पढ़ रही थी।
बालिका गृह की अधीक्षिका ने बताया कि बालिका के परिजनों को कई बार फोन पर बात करने की कोशिश की लेकिन यह कहते हुए मना कर दिया की इसने परिवार की प्रतिष्ठा गिराई है। इसलिए हम इससे कोई संबंध नहीं रखना चाहते हैं।