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Video : एक कांस्टेबल और तीन अस्पतालों की सुरक्षा, जिले के बड़े सरकारी अस्पतालों का हाल

locationअलवरPublished: Aug 21, 2017 05:27:00 pm

Submitted by:

Rajiv Goyal

ये कांस्टेबल अस्पताल में भर्ती मरीजों व उनके परिजनों के सामान की हिफाजत कैसे करता होगा, यह किसी से छिपा नहीं है।
 

security in general hospital alwar

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अलवर.

अलवर जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सहित जनाना एवं शिशु चिकित्सालय की सुरक्षा केवल एक कांस्टेबल के भरोसे है, जबकि इन तीनों अस्पतालों में रोजाना ३ से ४ हजार मरीज उपचार के लिए आते हैं।
कांस्टेबल के पास जिले के अन्य हिस्सों से आने वाले दुर्घटनाओं के मामलों की भी जिम्मेदारी है। दुर्घटनाओं के मामलों की तहरीर तैयार करना, संबंधित थाने को सूचित करना, मृत्यु होने पर शव को मोर्चरी में रखवाना आदि काम भी उसे करने पड़ते हैं। एेसे में ये कांस्टेबल अस्पताल में भर्ती मरीजों व उनके परिजनों के सामान की हिफाजत कैसे करता होगा, यह किसी से छिपा नहीं है।
ये है स्थिति


तीनों सरकारी अस्पतालों में रोजाना बड़ी संख्या में मरीजों की आने से पुलिस ने सुरक्षा की दृष्टि से यहां चौकी स्थािपत की हुई है। वैसे तो चौकी पर एक एसआई सहित दो कांस्टेबलों की ड्यूटी है, लेकिन इनमें से एक कांस्टेबल दिन व दूसरा रात्रि में ड्यूटी देता है। वहीं, एसआई थाने के काम से दिनभर व्यस्त रहता है। रात्रि में उसकी गश्त ड्यूटी भी लगती है। एेसे में वह चाहकर भी चौकी पर पूरा समय नहीं दे पाता है।
ये भी है समस्या


अस्पताल आने वाले मरीजों की सुरक्षा में कांस्टेबलों के सामने सबसे बड़ी बाधा तीनों सरकारी अस्पतालों का एक-दूसरे से दूर होना है। एेसे में एक कांस्टेबल का कार्यक्षेत्र काफी बढ़ जाता है और वह चाहकर भी तीनों अस्पतालों पर नजर नहीं रख सकता। एेसे में उसकी प्राथमिकता शहर सहित जिले से आने वाले दुर्घटना मेंं घायलों को उपचार उपलब्ध कराना व वीआईपी की सुरक्षा रहती है।
फैक्ट फाइल
२५०० से ३५०० मरीज रोज आते हैं आउटडोर में।
५०० से ७०० का रहता है इनडोर।
४ से ५ हजार परिजनों की प्रतिदिन आवाजाही।
अस्पताल में जहां भीड़, वहां जेबतराश बेखौफ
पर्ची पंजीकरण काउंटर।
भर्ती वार्डों में।
अस्पताल के बाहर।
दवा काउंटर पर।
जांच रिपोर्ट जारी करने वाले काउंटरों पर।
आउटडोर में लगी कतारों पर।
पूर्व में हो चुका है सामान चोरी


अस्पताल में भर्ती मरीज व उनके परिजनों का सामान चोरी होना सरकारी अस्पतालों में आमबात हो गई है। कुछ दिनों पहले सामान्य चिकित्सालय में भर्ती एक मरीज का मोबाइल कोई चुरा ले गया। इससे पहले भी एक भर्ती मरीज का सामान चोरी हो चुका है। गत दिनों अस्पताल में चोरी करते एक युवक को मरीज व उसके परिजनों ने पकड़ कर चौकी पुलिस को सौंपा। यह तो सिर्फ बानगी है। हकीकत ये है कि इन तीनों अस्पतालों में मरीजों को ना सिर्फ अपने सामान की बल्कि नवजात शिशुओं की सुरक्षा भी स्वयं करनी पड़ती है।
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