बर्डोद के एक मतदान केन्द्र पर मतदाताओं ने इसे लेकर आपत्ति भी जताई। उन्होंने अपनी शिकायत केन्द्र पर पहुंचे आरपीएस अधिकारी जिनेन्द्र कुमार से भी की। ततारपुर के एक मतदान केन्द्र पर तो वीवीपैट सहायिका मतदान कर्मियों के कई बार बुलाने पर भी नहंी आई और दूर बैठकर धूप सेकती रही। चिरुनी, मुण्डावर सहित अन्य मतदान केन्द्रों पर भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति थी। सहायिकताएं दूर कुर्सियों पर बैठी थी और मतदाताओं को मतदान के दौरान आने वाली दिक्कतों को मतदानकर्मी दूर कर रहे थे। कई बूथों पर तो सहायिकाएं ड्यूटी पर ही नहीं पहुंची।
बहरोड़ में उलट स्थिति राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बहरोड़ में इसके उलट स्थिति थी। यहां भाग संख्या 157 पर लगी सहायिका सुदेश यादव एक-एक महिला मतदाता को वीवीपैट के बारे में समझा रही थी। जरूरत पडऩे पर वह महिला की मदद को तैयार खड़ी थी। वहीं अलवर के शहर के जालवाला कुआं राजकीय विद्यालय नं.3 में बूथ संख्या 132 पर तैनात वीवीपैट सहायिका मतदाताओं को वीवीपैट की जानकारी देती दिखी। इसी स्कूल के अन्य बूथों पर पर वीवीपैट सहायिका मतदाताओं को जानकारी देती नजर आई।
वीवी पैट सहायिका नहीं दे पाई वोट वीवीपैट सहायिकाओं के पद पर आंगनबाडी कार्यकर्ता, सहायिका के अलावा शिक्षिकाओं को लगाया गया था। वीवी पैट सहायिकाओं का कहना था कि जिन महिलाओं को शहर के बाहर मतदान केंद्रों पर लगाया गया है, वे वोट नहीं दे पाई हैं। क्योंकि सुबह 8 बजे से डयूटी शुरू हुई है व उसी समय से मतदान शुरू हुआ है। जबकि जिन सहायिकाओं की शहर में डयूटी थी। वो सुबह वोट डालकर ड्यूटी पर पहुंची।