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कचरा बीनने वाले बच्चों में डाल रहे शिक्षा के संस्कार

locationअलवरPublished: Jul 19, 2019 10:14:10 pm

Submitted by:

Dharmendra Adlakha

जिस उम्र में बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए, उन्हीं हाथों में मजबूरियों ने कचरा बीनने के बड़े बोरे थमा दिए। यह व्यथा शहर की झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले अनेक बच्चों की है। कचरे के ढेरों में सिमटी इन बच्चों की जिंदगी का ही नतीजा है कि ये बच्चे शिक्षा अर्जन ही नहीं, अपना बचपन भी ठीक से नहीं जी पा रहे। अभाव की जिंदगी जीने वाले ऐसे बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाने का बीड़ा उठाया है अलवर में कुछ युवाओं ने।

waste picking community alwar

waste picking community alwar/ कचरा बीनने वाले बच्चों में डाल रहे शिक्षा के संस्कार

जिस उम्र में बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए, उन्हीं हाथों में मजबूरियों ने कचरा बीनने के बड़े बोरे थमा दिए। यह व्यथा शहर की झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले अनेक बच्चों की है। कचरे के ढेरों में सिमटी इन बच्चों की जिंदगी का ही नतीजा है कि ये बच्चे शिक्षा अर्जन ही नहीं, अपना बचपन भी ठीक से नहीं जी पा रहे।
अभाव की जिंदगी जीने वाले ऐसे बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाने का बीड़ा उठाया है अलवर में कुछ युवाओं ने। इन युवाओं ने बच्चों को कचरा बीनने के कार्य से हटाकर उन्हें शिक्षा से जोडऩे का प्रयास शुरू किया है। अलवर शहर में 800 ऐसे बच्चे हैं जो शिक्षा से अभी कोसों दूर हैं। ऐसे में इन युवाओं की यह पहल अब रंग ला रही है।
अलवर शहर में कचरा बीनने के काम से हटकर स्कूली शिक्षा लेने वाले बच्चों की संख्या अब 70 तक पहुंच गई हैं जो प्रतिदिन सुबह तैयार होकर स्कूल जाने को लालायित रहते हैं। इन युवाओं ने ऐसे बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए एक संस्था बनाई है जिसका नाम आप साथ दो सेवा समिति है। यह समिति मार्च 2018 से कचरा बीनने वाले बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का काम कर रही है।
अलवर शहर में इन्हें कहीं पर भी झुग्गी- झोपड़ी दिखाई देती है तो यह समिति वहीं जाकर बच्चों को शिक्षित करने में लग जाती है। कच्ची बस्ती में चला रहे हैं स्कूल-यह समिति अग्रसेन सर्किल, लोहा मंडी, सूर्य नगर और भांड बस्ती में यह पुनीत काम कर रही है। इस समय यहां एक केन्द्र पर नियमित कक्षाएं चल रही हैं जिसमें 110 बच्चे पढ़ रहे हैं। समिति के कार्यकर्ता इन बच्चों को झुग्गी झौपड़ी से लाकर इन्हें नियमित कक्षाओं में पढ़ाते हैं। इस काम में दस लोगों की टीम जुटी है।
इस काम के लिए इन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ता है। इनके माता-पिता इनसे कचरा बिनवाने का काम कराते हैं, जिससे इनका घर चलता है। इसके चलते यह प्रारम्भिक कक्षाएं इनकी बस्ती में ही शाम को चलाते हैं। ऐसे बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाया जाता है।
इन बच्चों के लिए स्पेशल स्कूल चलाए जाने की आवश्यकता बताई गई है। आप साथ दो सेवा समिति के अध्यक्ष दिनेश किराड़ व मीडिया प्रभारी शंकर सिंह का कहना है कि समाज के सहयोग से ही हम इन बच्चों को पढ़ा पाए हैं।
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