पोकरण परमाणु परीक्षण के समय वे खुद जोधपुर आए थे और जोधपुर की पावटा सब्जी मंडी से ट्रक में आलू भर ट्रक ड्राइवर बन सिर पर साफा बांध कर पोकरण गए थे। इस मिशन के दौरान वे मेजर जनरल पृथ्वीराज बन कर आए थे। यह उनकी सूझबूझ का ही परिणाम था कि अमरीका की एजेंसी सीआईए तक को यह पता नहीं चला कि भारत ने परमाणु परीक्षण किया है।
डॉ कलाम ने वैज्ञानिक सलाहकार और राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान विकिरण को बढ़ावा दिया है और विकिरण का पता लगाने और विकिरण मॉनिटर पर काम करने के लिए स्पष्ट रूप से प्रयोगशाला के अधिकारियों को राजी कर किया।
रक्षा प्रयोगशाला के निदेशक डॉ संपत राज वढेरा व इसरो के पूर्व उप निदेशक प्रो. ओ पी एन कल्ला तो उनसे जुड़ी बातें करते नहीं अघाते। यही नहीं, नोबल पुरस्कार के लिए नामित जोधपुर के मशहूर राजस्थानी साहित्यकार विजयदान देथा बिज्जी ने 2005 में उन पर पोथी लिखी थी।
जोधपुर के सोजती गेट स्थित राजस्थानी ग्रंथागार में अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शाइर शीन काफ निज़ाम व बिज्जी बैठे थे। उनकी चर्चा में मैं भी शामिल था। उसके बाद बिज्जी खुद यह पोथी कलाम को देने के लिए एयरपोर्ट गए थे।
यही नहीं, भारतीय ज्ञानपीठ के संग्रह में शामिल जोधपुर से ही जुड़े मशहूर शाइर रमज़ी इटावी ने सन 2001 में अपने काव्य संग्रह सहरा में भटकता चांद में तहक़ीक़ नामक नज़्म उनको समर्पित की थी :
तहकीक जब आगे बढ़ती है तो अर्श के तारे लाती है तकलीद भटकती रहती है हर मोड़ पर ठोकर खाती है हम खाक की बातें करते हैं वो खाक से बातें करता है
जो शख्स मुहक्किक होता है अफलाक से बातें करता है मुझे याद है। यह 13 दिसंबर 1997 कही बात है, जब एपीजे अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष के रूप में जोधपुर आए थे।
इस विलक्षण रक्षा वैज्ञानिक से बात करने और उनका साक्षात्कार लेने का केवल मुझे ही अवसर मिला था। हां पूरे देश के दिल के रतन पहले ही बन चुके थे। वे राष्ट्रपति और भारत रत्न बाद में बने।
तब उन्होंने बातचीत में कहा था कि वे देश को एक विशिष्ट हाईपर विमान देना चाहते हैं। वे जोधपुर से 56 किलोमीटर दूर बाड़मेर के अराबा दुधावता गांव में खारे पानी से मीठे पानी के विद्युत अपोहन निर्वलणीकरण संयत्र का उदघाटन करने आए थे। इसमें उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।
इससे पहले 22 अगस्त 1996 को भी कलाम ने बाड़मेर के तुरबा गांव में ईडी प्लांट का उदघाटन किया था। सुजलम परियोजना व राजीव गांधी पेयजल मिशन से ज़ुड़ा अराबा दुधावता गांव में राजस्थान का पच्चीसवां व अंतिम संयत्र था। उस कार्यक्रम में तत्कालीन संभागीय आयुक्त डॉ.ललित के पंवार भी मौजूद थे।
समारोह में कलाम अंग्रेजी में बोल रहे थे और पंवार उसका हिन्दी में अनुवाद करते जा रहे थे। कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी सत्र भी हुआ था। उस कार्यक्रम में भी मीडिया से अकेला ही मैं मौजूद था। उन्होंने समारोह में कहा था कि यहां के हर गांव में मीठा पानी होना चाहिए और पानी एेसा हो कि सब्जियां उग सकें। पंवार ने आशु दोहा कहा था :
आए अराबा गांव में डॉक्टर अब्दुल कलाम खारे पानी को मीठा किया हम करते हैं सलाम (एम आई ज़ाहिर 09928986086 mi.zaahir@gmail.com)