मुसीबत आने के बाद पढ़ाई की
संतोष यादव बताती हैं कि मेरे पति का देहांत 2014 में हो गया था। इसके बाद मैंने 11 वीं कक्षा और एसटीसी की है।मैंने बच्चों को पालते हुए पढ़ाई की। अब पढ़ाई के साथ यह होता है कि आप को अच्छे अंक भी लाने हैं। मैंने जमकर पढ़ाई की और कई सालों की मेहनत के बाद मेरा रीट लेवल प्रथम में सलेक्शन हो गया। अब नौकरी से जीने का सहारा मिल गया।
हार नहीं मानी और पाई मंजिल अलवर निवासी सीमा कहती हैं कि मेरे पिता अमरचंद ने पति की मौत के बाद मेरा हौसला बढ़ाया और मुझे आगे पढ़ने की सलाह दी। 2016 से लगातार पढ़ने और संघर्ष करने के बाद अब मैं स्कूल शिक्षिका बनी हूं।इस सफलता में बस एक ही बात है कि आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार मेहनत करते रहो, हिम्मत मत हारो।
आंखें भर आई नौकरी पाकर कोटकासिम की ललिता रानी का नाम जब स्कूल के अलॉटमेंट के साथ बोला गया तो वह भावुक हो गई। ललिता ने रोते हुए पत्रिका को बताया कि कई सालों की मेहनत के बाद यह दिन नसीब हुआ है। 2019 में मेरे पति के देहांत के बाद मेरे ससुर ने पिता की तरह भूमिका निभाई। उनकी प्रेरणा से मैंने एसटीसी और बीए किया।