अलवर

इनसे हौसला लीजिए: पति की मौत के बाद टूटी लेकिन हार नहीं मानी, जमकर पढ़ाई की और अब लगी सरकारी नौकरी

बहुत सी ऐसी बेटियों ने दु:खों का पहाड़ टूटने के बाद फिर से पढ़ाई शुरू की और एसटीसी और बीएड कर रीट लेवल-1 की परीक्षा पास की।

अलवरMay 27, 2022 / 05:56 pm

Lubhavan

इनसे हौसला लीजिए: पति की मौत के बाद टूटी लेकिन हार नहीं मानी, जमकर पढ़ाई की और अब लगी सरकारी नौकरी

अलवर. लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो…। हरिवंश राय बच्चन की यह कविता अलवर की उन बेटियों पर खरी उतरती है जो कम उम्र में विधवा हो गई। अपने परिवार की गाड़ी रूपी रथ को खींचने और बच्चों को मां और पिता दोनों का प्यार व सुरक्षा देने की चुनौती को उन्होंने स्वीकार किया। अलवर जिले की बहुत सी ऐसी बेटियों ने दु:खों का पहाड़ टूटने के बाद फिर से पढ़ाई शुरू की और एसटीसी और बीएड कर रीट लेवल-1 की परीक्षा पास की। सोमवार को काउंसलिंग के बाद इनको स्कूल आवंटित किए तो उनके चेहरे पर खुशी देखते ही बनती थी।

दसवीं के बाद पढ़ाई की, मिली सफलता

ढहलावास की केसंता का कहना है कि मैंने पति की मौत के बाद पढ़ाई नए सिरे से शुरू की। इस समय तक मैंने दसवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की थी। फिर मैंने एसटीसी कर नौकरी पाई। मेरे दो बच्चे हैं जिनके भाग्य से यह नौकरी मिली है। मैं बता नहीं सकती कि मैं कितनी खुश हूं।
मुसीबत आने के बाद पढ़ाई की

संतोष यादव बताती हैं कि मेरे पति का देहांत 2014 में हो गया था। इसके बाद मैंने 11 वीं कक्षा और एसटीसी की है।मैंने बच्चों को पालते हुए पढ़ाई की। अब पढ़ाई के साथ यह होता है कि आप को अच्छे अंक भी लाने हैं। मैंने जमकर पढ़ाई की और कई सालों की मेहनत के बाद मेरा रीट लेवल प्रथम में सलेक्शन हो गया। अब नौकरी से जीने का सहारा मिल गया।
हार नहीं मानी और पाई मंजिल

अलवर निवासी सीमा कहती हैं कि मेरे पिता अमरचंद ने पति की मौत के बाद मेरा हौसला बढ़ाया और मुझे आगे पढ़ने की सलाह दी। 2016 से लगातार पढ़ने और संघर्ष करने के बाद अब मैं स्कूल शिक्षिका बनी हूं।इस सफलता में बस एक ही बात है कि आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार मेहनत करते रहो, हिम्मत मत हारो।
आंखें भर आई नौकरी पाकर

कोटकासिम की ललिता रानी का नाम जब स्कूल के अलॉटमेंट के साथ बोला गया तो वह भावुक हो गई। ललिता ने रोते हुए पत्रिका को बताया कि कई सालों की मेहनत के बाद यह दिन नसीब हुआ है। 2019 में मेरे पति के देहांत के बाद मेरे ससुर ने पिता की तरह भूमिका निभाई। उनकी प्रेरणा से मैंने एसटीसी और बीए किया।
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