मृत पशुओं के सैंपल लिए
इस अज्ञात बीमारी का पता अभी तक पशुपालन विभाग और अंबाला प्रशासन नहीं लगा सका है। चिकित्सकों की एक टीम गांव का दौरा करके पशुओं के सैंपल ले चुकी है। इस सैंपल की रिपोर्ट आनी बाकी है। अभी तक यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर अचानक एक साथ इतने पशुओं की मौत किस बीमारी से हुई है। कोरोना की दहशत के कारण पहले से ही क्षेत्र में घबराहट फैली हुई है। अब पशुओं की बीमारी से मौतों से ग्रामीण खौफजदां हैं।
चिकित्साकर्मियों का दल मौजूद
पशुओं की बीमारी की रोकथाम के लिए गांव में पशुपालन विभाग के तीन चिकित्सकों और आठ कर्मचारियों को भेजा गया है। यह चिकित्सा दल बीमार और बचे हुए पशुओं को दवाएं दे रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि गंदगी से पैदा होने वाली टैबनस मक्खी से इस तरह की बीमारी फैलती है। हालांकि अभी सैंपल की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इसका खुलासा हो सकेगा कि पशुओं की मौत किस रोग से हुई है। पशुओं में बीमारी के लक्षणों से कहा जा सकता है कि यह मुंह पका-खुर पका की बीमारी नहीं है।
इन पर टूटा कहर
गांव के पशुओं में फैली इस बीमारी से मनोज पुत्र पप्पू के 5 पशु मृत व एक भैंस-गाय व झोटा गंभीर है। ओमबीर पुत्र तेजपाल की 4 भैंस,1 गाय,1 झोटा की मौत हो गई। हरपाल पुत्र काबिज सिंह की एक गाय, एक भैंस, एक झोटा मर चुके हैं व एक गाय की हालत गंभीर हैं। जय कुमार की एक कटड़ी, राजेंद्र पुत्र गुलाब सिंह की एक भैंस, फकीरिया पुत्र भरतु की एक भैंस मारी गई है जबकि 4 पशु बीमार हैं। जोगिंदर पुत्र नेत्रपाल की एक गाय, हेमसिंह पुत्र बाज सिंह की एक भैंस व एक गाय मारे गए। कर्ण सिंह पुत्र बाबु राम की एक गाय, सुरेंद्र पुत्र लाभ सिंह का झोटा, रिंपी पुत्र रोहतास की 2 भैंस व एक गाय, पीताम्बर पुत्र साधु की भैंस, सुखदेव पुत्र रघबीर सिंह की 2 भैंस मारी गई हैं। पिंदा पुत्र मौलड़ के 4 पशु, मांगा पुत्र मदन की भैंस गंभीर है।