हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान इनेलो से अलग होकर अस्तित्व में आने वाली जननायक जनता पार्टी ने चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया। जजपा ने सात व आप ने तीन सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए लेकिन कहीं भी कामयाबी नहीं मिली। इस गठबंधन ने प्रचार के दौरान हरियाणा में दिल्ली मॉडल को उभारने का प्रयास किया। जजपा एकमात्र ऐसा राजनीतिक दल था जिसने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया था, लेकिन हरियाणा के लोगों ने न तो दिल्ली मॉडल को स्वीकार किया और न ही जजपा के घोषणा पत्र को गौर से पढ़ा। जिसके चलते यह गठबंधन केवल हिसार में ही अपनी अच्छी उपस्थिति दर्ज करवा पाया है।
इसी तरह भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी ने खुद को पिछड़ा वर्ग का नेता करार देते हुए लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का गठन किया था, जिसनें पिछड़ा वर्ग की प्रतिनिधि बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन करके चुनाव लड़ा था। यह गठबंधन हरियाणा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में तो कामयाब रहा है लेकिन जीत किसी भी सीट पर नसीब नहीं हुई है। चुनाव परिणाम में सबसे दयनीय स्थिति इंडियन नेशनल लोकदल की रही है। जिसके चलते ज्यादातर प्रत्याशी पांच अंकों में भी वोट हासिल नहीं कर सके हैं। विधानसभा में इनेलो की स्थिति पहले ही कमजोर हो चुकी है। ऐसे में अब इनेलो को हरियाणा में बेहद मजबूती के साथ अपने अस्तित्व की लड़ाई लडऩी पड़ेगी।