सात वयस्क अभियुक्तों के अलावा इस मामले में एक किशोर अभियुक्त भी था। किशोर का मुकदमा अलग चलाया गया था। इस मामले में एक मानसिक रूप से विमंदित 24 वर्षीय नेपाली युवती के साथ बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने मोबाइल टावर की लोकेशन और दो अभियुक्तों के बीच बातचीत के अलावा इनके डीएनए मिलान के आधार पर गिरफ्तारियां की थीं। जिला एवं सत्र न्यायालय ने मामले के सातों अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद सजा की पुष्टि के लिए मामला हाईकोर्ट को भेजा गया था।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से दलील दी गई कि यह दुर्लभ में भी दुर्लभतम अपराध है। यह दिल्ली में वर्ष 2012 में हुए निर्भया मामले की तरह है। हालांकि बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि मामले में कोई सीधा साक्ष्य नहीं है और पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है। हाईकोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखते हुए अभियुक्तों को 50 लाख रूपए जुर्माने की राशि अदा करने का भी आदेश दिया। जुर्माना राशि वसूली के लिए अभियुक्तों की समपत्ति नीलाम करने का भी आदेश दिया गया। जुर्माना राशि में से आधी राशि पीडित परिवार को दी जाएगी और बाकी 25 लाख राज्य सरकार को दिए जायेंगे।
सतलोक आश्रम प्रमुख रामपाल की याचिका खारिज
इधर हरियाणा के हिसार जिले के बरवाला में सतलोक आश्रम के प्रमुख रहे रामपाल की याचिका हाईकोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी। रामपाल ने हिसार जेल अधीक्षक पर पचास लाख रूपए रिश्वत मांगने और न देने पर उत्पीडन किए जाने के आरोप लगाए थे। इस आधार पर रामपाल ने स्वयं को हिसार जेल से किसी अन्य जेल में भेजने की मांग की थी। इस मामले में जेल विभाग के महानिरीक्षक की जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी। इस रिपोर्ट में रिश्वत मागने और उत्पीडन किए जाने के रामपाल के आरोप झूठे बताए गए थे। इससे पहले हिसार के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने भी रामपाल की यही याचिका खारिज कर दी थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट के फैसले के खिलाफ जिला न्यायालय में की गई अपील रामपाल ने वापस ले ली थी।