पीडि़ता ने अब मामले की शिकायत पुलिस में दी है।आरोपित परिवार पटियाला का रहने वाला है। सरकारी अस्पताल में महिला का मेडिकल कराने के बाद कोर्ट में 164 के बयान दर्ज कराए गए। केस के अनुसार 11 फरवरी 2018 को पीडि़ता की रीति-रिवाजों से शादी हुई थी। ससुराल वाले दहेज से खुश नहीं थे। कुछ दिनों तक तो सबकुछ सामान्य चला, लेकिन बाद में कलह शुरू हो गई। पीडि़ता से और दहेज की मांग की गई।
इन्कार होने पर उसे तंग किया जाने लगा। पीडि़ता ने अपने मायके वालों को भी बताया। दोनों पक्षों में समझौते के लिए बातचीत सिरे नहीं चढ़ी। मनमुटाव बढऩे लगा। पति अपनी पत्नी का शारीरिक शोषण भी करता था। काफी समय तक तो उसने किसी को नहीं बताया, लेकिन उत्पीडऩ बढऩे पर अपना दर्द जेठानी से सांझा किया। जेठानी ने उसे विश्वास दिलाया कि वह सबकुछ ठीक कर देगी। कुछ दिन बाद रात के समय जेठानी ने पीडि़ता को दूध दिया।
उसके बाद वह बेहोश हो गई। अगले दिन उठी तो उसका सिरदर्द कर रहा था। दोबारा विवाद के दौरान जेठानी ने पीडि़ता को एक वीडियो दिखाया। इस वीडियो में ससुर उसके साथ दुष्कर्म कर रहा था। जांच अधिकारी एएसआइ सुमन के मुताबिक दुष्कर्म व दहेज उत्पीडऩ के केस की तफ्तीश जारी है। मेडिकल के बाद कोर्ट में बयान करवा दिए गए हैं। आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए दबिश जारी है।
आठ साल की उम्र में कर दी शादी,17 की हुई तो किया इन्कार, मचा बवाल
पानीपत। यहां अदला-बदली शादी यानि आट्टा-साट्टा की प्रथा का अजीबो गरीब मामला सामने आया है। आठ साल की उम्र में एक बच्ची की शादी इस प्रथा के तहत करा दी गई। इसके बदले में उनके दूल्हे की बहन से उसके चाचा की शादी हुई। अब यह लड़की जब 17 साल की हुई तो उसने इस शादी को मानने से इन्कार कर दिया। मामला अदालत पहुंचा तो कोर्ट ने लड़की का ही साथ दिया। मामला पानीपत शहर की सरस्वती विहार खादी कॉलोनी का है। कॉलोनी की शशि वैसे ही थी जैसी सब बच्चियां होती हैं।
सहेलियों के साथ गुड्डा-गुडिया की शादी रचाती थी, खेलती थी। उम्र थी लगभग आठ साल की। लेकिन गुड्डे-गुडिया की शादी रचाते-रचाते एक दिन उसके ही हाथों में मेंहदी रचा दी गई। वजह यह थी कि उसके चाचा की शादी नहीं हो रही थी। सो, आट्टा-साट्टा की प्रथा के तहत उसकी शादी एक बालक से करा दी गई और उस बालक की बहन की शादी शशि के चाचा से करा दी गई।
जब शशि को 17 वर्ष की उम्र में पति लेने आया तो उसने शादी को मानने से इन्कार कर दिया। बात अदालत तक पहुंची और शशि की इच्छा का सम्मान करते हुए अदालत ने विवाह रद कर दिया। शशि को उसके पिता बलकार सिंह और मां बंती देवी का भी साथ मिला। 17 मार्च 2017 में उसने अदालत में मुकदमा दायर किया। अब अदालत ने नौ साल पहले के बाल विवाह को रद कर दिया है। इससे शशि खुश है। वह पढ़ाई कर शिक्षिका बनना चाहती है। वह बीकॉम प्रथम वर्ष में पढ़ रही है।