अंबाला

हरियाणा सरकार के दावे हुए फेल, सड़क पर उतरे हजारों श्रमिक

सीमाएं सील होने के बावजूद पहुंच गए दिल्ली

अंबालाMar 29, 2020 / 10:52 pm

Chandra Prakash sain

हरियाणा सरकार के दावे हुए फेल,सडक़ों पर उतरे हजारों श्रमिक

चंडीगढ़. हरियाणा सरकार द्वारा लॉकडाउन की स्थिति से निपटने को लेकर किए गए तमाम दावों की हवा उस समय निकल गई जब हजारों की संख्या में श्रमिक सडक़ों पर उतर आए। सरकार का दावा सभी जिलों तथा अंतरराज्जीय सीमाओं का सील करने का था इसके बावजूद यह श्रमिक देश की राजधानी दिल्ली में पहुंच गए। शनिवार को शुरु हुआ यह पलायन रविवार को भी जारी रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए थे लेकिन हरियाणा सरकार केवल कागजी कार्रवाई में ही उलझी रही। प्रदेश में प्रवास मजदूरों व फैक्टरियों के श्रमिकों ने जब पलायन शुरू किया तो केंद्र सरकार ने फटकार भी लगाई। हरियाणा सरकार की ओर से साढ़े 4 हजार रुपये मासिक देने का दावा किया गया है लेकिन यह पैसा मिलेगा कैसे, इसका कोई आसान रास्ता नहीं है।
पंजीकृत श्रमिकों के बैंक खातों में तो हर सप्ताह 1000 रुपये सरकार डालेगी लेकिन गैर-पंजीकृत श्रमिकों के अलावा रेहड़ी-फड़ी वालों व उन सभी मजदूरों को डीसी कार्यालय में जाकर रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है, जो सरकार के रिकार्ड में पंजीकृत नहीं हैं।
हरियाणा के पानीपत,सोनीपत, गुरुग्राम, रोहतक, बहादुरगढ़, फरीदाबाद, रेवाड़ी में हजारों की संख्या में गैरपंजीकृत मजदूर काम करते हैं। बताया जाता है कि सरकार के दावों के उलट भूखमरी का शिकार होकर सडक़ों पर आने वाले यही मजदूर थे। वर्तमान में जितने भी श्रमिक हरियाणा से पलायन करके यूपी और बिहार के लिए रवाना हुए हैं, उनके पास कोई स्थाई ठिकाना नहीं था। वे किराये के मकानों में रहते थे। रोजाना कमाकर रोजाना परिवार का पेट भरने वाले इन परिवारों को लॉकडाउन की स्थिति में जब कुछ नजऱ नहीं आया तो उन्होंने अपने घरों की ओर लौटने में ही भलाई समझी।
सरकार दावा तो कर रही है कि प्रवासी श्रमिकों के ठहरने व खाने का प्रबंध किया गया है लेकिन इस बात का जवाब नहीं है कि पलायन करने वालों को बार्डर पर ही क्यों नहीं रोका गया।
पलायन पर विपक्ष ने सरकार को घेरा
हरियाणा से हजारों मजदूरों द्वारा पलायन किए जाने के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेर लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने ट्वीट करके कहा कि मनोहर सरकार केवल दावों तक ही सीमित है। सरकार ने लॉकडाउन से निपटने के लिए कोई प्रबंध नहीं किया। हजारों की संख्या में मजदूर सडक़ों पर हैं और सरकार के पास कोई जवाब नहीं है।

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