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दादूपुर नलवी नहर मामले में फंस गई हरियाणा सरकार, अब करना होगा यह काम

locationअंबालाPublished: Sep 28, 2018 08:22:36 pm

Submitted by:

Prateek

दादूपुर जलसेवा डिवीजन के अधिशासी अभियंता विनोद कुमार ने पिछले 20 सितम्बर को जिला अदालत में अर्जी पेश कर विभाग के खाते मुक्त करने की प्रार्थना की थी…

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(चंडिगढ/अंबाला): हरियाणा सरकार दादूपुर-नलवी नहर परियोजना के मामले में फंस गई है। विपक्ष और किसानों के कडे विरोध के बावजूद परियोजना के लिए अधिग्रहण की गई 830 एकड जमीन को अधिग्रहण मुक्त करने के बाद भी अदालत ने राज्य सरकार को किसानों को बढे हुए मुआवजें का भुगतान करने का आदेश दिया है।


पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 5 मई 2016 को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि परियोजना के लिए अधिग्रहण की गई जमीन पर प्रति एकड 3.39 करोड रूपए की दर से मुआवजे का भुगतान किया जाए। किसानों ने मुआवजा बढाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार राज्य सरकार को अधिग्रहण की गई भूमि के पहले दिए जा चुके मुआवजे में अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान करना था। लेकिन राज्य सरकार ने इस अतिरिक्त राशि का भुगतान करने के बजाय पिछले 3 अगस्त को परियोजना की जमीन को अधिग्रहण मुक्त कर दिया।

 

राज्य सरकार के इस कदम के बाद यमुनानगर जिले की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय की अदालत ने परियोजना की जमीन से जुडे किसानों की सात याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह आगामी चार अक्टूबर तक किसानों की हाईकोर्ट आदेश के अनुसार बढी हुई मुआवजा राशि के हिस्से की 66.11 करोड रूपए की राशि अदालत में जमा करवाए। जिला अदालत ने हरियाणा सरकार के सिंचाई व जल संसाधन सचिव को आदेश दिया है कि वे आगामी चार अक्टूबर को स्टेटस रिपोर्ट के साथ अदालत में उपस्थित हों। इससे पहले जिला अदालत ने पिछले 13 मई को किसानों को हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार बढा हुआ मुआवजा दिलाने के लिए सिंचाई विभाग के खाते अटैच कर दिए थे।

 

दादूपुर जलसेवा डिवीजन के अधिशासी अभियंता विनोद कुमार ने पिछले 20 सितम्बर को जिला अदालत में अर्जी पेश कर विभाग के खाते मुक्त करने की प्रार्थना की थी। अर्जी में कहा गया था कि खाते अटैच होने से विभाग का काम प्रभावित हो रहा है। दैनिक वेतन पर काम करने वाले अस्सी फीसदी मजदूरों का भुगतान चार माह से नहीं किया जा सका है। जिला अदालत ने यह अर्जी खारिज कर जिला कोषाधिकारी को राशि अदालत में जमा कराने को कहा था। अदालत ने कहा कि हालांकि राज्य सरकार ने परियोजना की जमीन को अधिग्रहण मुक्त किया है लेकिन हाईकोर्ट के मुआवजा बढाने के आदेश पर कोई अपील दायर नहीं की गई है इसलिए हाईकोर्ट का आदेश प्रभावी है।

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