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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईआईएम रोहतक (IIM Rohtak) के डायरेक्टर प्रो. धीरज शर्मा की नेतृत्व वाली टीम ने इस स्टडी में योगदान निभाया। टीम ने पंजाब, गुजरात व दिल्ली में बंद 872 ऐसे कैदियों से बातचीत की जो ड्रग बेचने के मामले में सजा काट रहे हैं। खास बात यह है कि इन ड्रग बेचने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं। टीम ने इन सभी से 11 सवाल पूछे। इससे सच सामने निकलकर आया।
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85 फीसदी ने माना की नशीली दवाओं को बढ़ावा देने वाले संगीत की वजह से युवाओं में बीच ड्रग्स की खपत ज्यादा होने लगी है। 79.36 प्रतिशत ने इस बात पर मुहर लगाई कि ड्रग्स का महिमामंडन जिन फिल्मों में होता है उन्हें देखकर युवा इसकी ओर आकर्षित होते हैं। चौंकाने वाली बात यह भी है कि नशे का जिक्र वाला संगीत सुनते समय ड्रग्स का उपयोग ज्यादा किया जाता है।
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स्टडी में सामने आया कि ड्रग लेने वाले और खुद इन्हें बेचने वाले बॉलीवुड के लोगों की नकल करने में लगे रहते हैं। वह उन्हीं की तरह जिंदगी जीने की कल्पना में रहना चाहते हैं। शोध में यह तथ्य भी सामने आया कि 78.10 फीसदी लोग ड्रग का इस्तेमाल करते हुए इस काले धंधे से जुड़े। वहीं 86.70 प्रतिशत जिनसे अपने लिए ड्रग खरीदते थे उन्हीं के जरिए दलदल में फंस गए। इन कैदियों ने यह भी खुलासा किया कि ड्रग्स बेचने के लिए सबसे अनुकूल स्थान पब और बार को माने जाते हैं। इसके बाद रेस्टोरेंट और होटल, कॉलेज और विश्वविद्यालय तक यह लोग पहुंच बनाते हैं।