हुड्डा सरकार में खुद अनिल विज कई बार उठाया था विधानसभा में यह मुद्दाप्रोटोकॉल में मुख्य सचिव से वरिष्ठ हैं एमएलए
अंबाला•May 22, 2020 / 08:09 pm•
Chandra Prakash sain
लॉकडाउन में छूट के फैसले से आहत अनिल विज
चंडीगढ़. हरियाणा में अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों की अनदेखी किए जाने का मुद्दा लगातार गहराता जा रहा है। प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज ने आज अधिकारी पीडि़त विधायकों का समर्थन कर दिया है। विज ने अधिकारियों को नसीहत देते हुए यहां तक कह दिया कि अगर उन्हें हरियाणा में नौकरी करनी है तो विधायकों की सुननी पड़ेगी।
हरियाणा में अफसरशाही द्वारा विधायकों की अनदेखी करने का विवाद नया नहीं है। यह विवाद हुड्डा सरकार में ही शुरू हो गया था। इससे पहले चौटाला सरकार में इक्का-दुक्का विधायक को छोडक़र कभी किसी ने ऐसी शिकायत नहीं की। प्रोटोकॉल में विधायक मुख्य सचिव से उपर है।
हरियाणा में पिछले करीब डेढ दशक से हालात यह हैं कि विधायकों द्वारा बुलाई जाने वाली बैठकों में एसडीओ स्तर के अधिकारी भी नहीं पहुंचते हैं। एसडीएम और डीएसपी तो विधायकों के फोन तक नहीं उठाते हैं। विधायकों को जिला स्तरीय अधिकारियों से मुलाकात के लिए आम जनता की तरह इंतजार करना पड़ता है। हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्तमान गृहमंत्री अनिल विज विपक्ष में रहते हुए इस समस्या से सर्वाधिक पीडि़त रहे हैं।
विपक्ष में रहते हुए अनिल विज ने कई बार यह मुद्दा उठाया तो तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्रियों ने मुख्य सचिव के माध्यम से निर्देश भी जारी किए। इसके बावजूद अधिकारी कभी गंभीर नहीं हुए। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी यह मुद्दा उठता रहा है। अब पिछले दो दिन से विधानसभा स्पीकर द्वारा की जा रही वीडियो कांफ्रैंसिंग बैठक के दौरान विधायक यह मुद्दा उठा रहे हैं।
गृहमंत्री अनिल विज ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान विधायकों का पक्ष पूरते हुए कहा कि अधिकारियों को उनकी सुनवाई करनी चाहिए। विज ने आंखे तरेरते हुए कहा कि अधिकारियों पर सख्ती के और भी बहुत तरीके हैं। अगर विधायक मुख्यमंत्री को बताएंगे तो इस मामले में जरूरी कार्रवाई की जाएगी। विज ने कहा कि प्रोटोकॉल में विधायक मुख्य सचिव से ऊपर है ,यह अफसरों को बता दिया जाएगा। कांग्रेस विधायक किरण चौधरी द्वारा इस मुद्दे पर विधानसभा में बिल लाए जाने के दावों को खारिज करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। विधायकों को उचित मान-सम्मान मिलेगा।