झज्जर जिले के माजरी गांव निवासी 14वर्षीय छात्र जतिन पिछले साल गुरूकुल में पढने आया था। इसलिए वह छात्रावास में रहता था। जतिन का शव मंगलवार रात उसके कमरे के वैटिलेटर से टावेल बांधकर बनाए गए फंदे से लटका पाया गया। कमरा खुला हुआ था क्योंकि छात्रावास के कमरों में ताले नहीं है। पुलिस का कहना है कि प्रथम दृृष्टया यह आत्महत्या का मामला लगता है। लेकिन मृतक के पिता शशि कुमार का कहना है कि इसके पीछे साजिश की गंध आती है। उन्होंने मामले में गहराई से जांच की मांग की है।
शशि कुमार के अनुसार उन्हें घटना की सूचना मंगलवार रात करीब सवा नौ बजे टेलीफोन पर दी गई। छात्रावास के वार्डन के अनुसार जतिन ने मंगलवार शाम 6.55 बजे फांसी लगाई। लेकिन स्कूल प्रबन्धन 7.55 बजे सक्रिय हुआ। इसके बाद परिवार को तो और देर से सूचना दी गई। शशि कुमार ने कहा कि उनका पुत्र पढाई में अच्छा था और ग्रीष्म अवकाश के बाद पिछली नौ जुलाई को ही गुरूकुल आया था। मैंने पिछले रविवार शाम को ही जतिन से टेलीफोन पर बात की थी और वह बातचीत में सामान्य था। मैंने सीसीटीवी फुटेज भी देखा है जिसमें जतिन साढे छह बजे कमरे में प्रवेश करता दिखाई दिया है। गुरूकुल प्रबन्धन का कहना है कि जतिन की मृृत्यु कुछ ही मिनट बाद हो गई लेकिन जतिन घूमते व खाते हुए दिखाई दे रहा है। गुरूकुल प्रबन्धन कमेटी के अध्यक्ष कुलवन्त सैनी के अनुसार जतिन छात्रावास में रहने के लिए परिवार की तरफ से दवाब में था। जतिन अन्य छात्रों के साथ रात्रि भोजन में शामिल नहीं हुआ और बाद में उसके शव का पता चला। सैनी ने कहा कि जतिन अन्तर्मुखी था। कक्षा आठ की परीक्षा में उसने अस्सी फीसदी अंक हासिल किए थे। उसका असामायिक निधन दुर्भाग्यपूर्ण है।
कुरूक्षेत्र के पुलिस अधीक्षक अभिषेक गर्ग ने बताया कि छात्र की मृृत्यु के कारणों का पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलेगा। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज में जतिन के कमरे में प्रवेश और बाद में शव पाये जाने के बीच उसके कमरे में किसी और का प्रवेश नहीं दिखाई दिया है। छात्र के शरीर पर चोट का निशान भी नहीं पाया गया। हालात हत्या का कोई संकेत नहीं दे रहे। मामले की गहराई से जांच की जा रही है। गुरूकुल की स्थापना आर्य समाज के प्रमुख नेता स्वामी श्रद्धानन्द ने 13 अप्रेल 1912 को की थी। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत इस संस्थान के संरक्षक है।