बुनकरों को नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ जिले में एक लाख से अधिक पावर लूम के संचालन के लिए हजारों मजदूर लगे हुए होते हैं। इन मजदूरों के लिए सरकार की तरफ से कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, लेकिन अफसोस यह कि इन योजनाओं का लाभ गरीब बुनकरों को नही मिल पा रहा है। भाजपा सांसद डॉ हरिओम पांडेय ने बुनकरों की बदहाली पर जो खुलासा किया है वह काफी चौंकाने वाला है।
बुनकरों के पंजीकरण पर हुआ है बड़ा खेल देश मे किसी भी प्रकार के काम करने वाले कामगारों की भलाई के लिए श्रम कानून लागू है, जिसके आधार पर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी शामिल किया गया है। कानून यह है कि किसी भी असंगठित क्षेत्र के मजदूर या श्रमिक का पंजीकरण श्रम विभाग में कराना अनिवार्य होता है और इसी आधार पर मजदूरों को सरकार द्वारा निर्धारित किये गए न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी देना अपराध है और इसी पंजीकरण के आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ भी मजदूरों को दिया जाता है।
नहीं किया गया इनका पंजीकरण अम्बेडकर नगर जिले में टांडा, भूलेपुर, शहजादपुर, जलालपुर, नेवारी समेत कई अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी पावर लूम संचालित हो रहे हैं, जिसको हजारों मजदूर संचालित कर रहे हैं, लेकिन इन मजदूरों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वास्थ, बीमा और अन्य कई योजनाओं का लाभ सिर्फ इसलिए नही मिल पा रहा है, क्योंकि इनका पंजीकरण ही नहीं किया गया है। सांसद डॉ हरिओम पांडेय ने बताया कि अपने जिले के बुनकरों की समस्या से जब वे कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को अवगत कराया तो उन्होंने बताया कि अम्बेडकर नगर में तो सिर्फ कुछ सैकड़ा मजदूर ही पंजीकृत हैं।
सांसद ने पावरलूम कनेक्शन का निकलवाया डाटा वस्त्र मंत्रालय में बुनकर मजदूरों का भेजा गया डाटा काफी हैरान कर देने वाला रहा, जिसको लेकर सांसद डॉ हरिओम पांडेय ने जिले में संचालित किए जा रहे पावर लूम के कनेक्शन का डाटा जब बिजली विभाग से निकलवाया तो 90 हजार से अधिक पावर लूम के कनेक्शन जारी किया जाना पाया गया। अब सवाल यह उठता है कि जब 90 हजार से अधिक पावर लूम संचालित हो रहे हैं तो बुनकर मजदूरों का पंजीकरण कुछ सैकड़ा कैसे है। सांसद हरिओम पांडेय इसके पीछे बड़ी साजिश बताते हुए कहाकि इस खेल में कुछ विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता और पिछली शासन की लापरवाही के कारण ऐसा हुआ है।
कैसे सफल होगा एक जिला एक उत्पाद अभियान प्रदेश में कई जिलों को उनकी विशिष्टता के कारण एक जिला एक उत्पाद योजना चलाकर सरकार ने उन जिलों को विकास के लिए चयनित किया है, जिसमे से अम्बेडकर नगर को कपड़ा उत्पादन कर लिए चुना है और कपड़ा व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है, लेकिन सांसद के खुलासे के बाद अब यह बड़ा सवाल खड़ा हुआ है कि जब यहां के बुनकर श्रमिक सरकार के खाते में दर्ज ही नही हैं तो फिर सरकार किन आंकड़ों के आधार पर इस व्यवसाय का अपग्रेडेशन और विकास करेगी।
सांसद ने जिलाधिकारी को जांच करने का दिया सुझाव बुनकरों के लिये सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ यहां के गरीब बुनकरों को नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि यहां के बुनकरों का पंजीकरण सरकार के खाते में नहीं है। इस बात का खुलासा होने के बाद सांसद डॉ हरिओम पांडेय ने जब बिजली विभाग से पावर लूम कनेक्शनों की संख्या जानी तो गरीब मजदूरों के साथ इस भद्दे मजाक की जानकारी हुई। इस संबंध में सांसद ने बताया कि इस गंभीर प्रकरण पर वस्त्र मंत्री और मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया गया है, साथ ही जिलाधिकारी से इसकी जांच कराने के लिए उन्होंने कहा है और इसके लिए जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।