पक्षों के बीच मध्यस्थता से हो सकता है वादों का निपटारा
जागरूकता शिविर के मुख्य अतिथि रहे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव आलोक कुमार सिंह ने कहा कि मध्यस्तता वह विधि है जिसके माध्यम से वर्षो से चली आ रही मुकदमेबाजी क्षण भर में सदैव के लिए समाप्त करायी जा सकती है।न्यायधीश भी पक्षो के मध्य मध्यस्तता करा रहे हैं । बार और बैंच दोनो का दायित्व है कि मुकदमेबाजी लंबी नही चले। उन्होंने सभागार में उपस्थित अधिवक्ताओं से कहाकि अगर आप सुलह समझौते ,मध्यस्तता करके न्याय दिला देगे तो निश्चित तौर पर आप के पास और मुकदमे आयेंगे । उन्होंने कहाकि आप लोग जहाँ कही भी जाये मध्यस्थता के माध्यम से भी मुकदमो को समाप्त करने का प्रयास सकते हैं और इसके लिए लोगों को जागरूक करें ।
एस डी एम की अध्यक्षता में हुआ शिविर का समापन
शिविर की अध्यक्षता करते हुए एस डी एम नरेन्द्र सिंह ने कहा कि मुकदमे लड़ते कई पीढियां गुजर जाती है ।अंतहीन मुकदमे बाजी न हो यह समाज व देश के हित में है । बार और बेंच दोनो मिल कर सुलह मसझौता, मध्यस्तता करके मुकदमे का अंत करा सकते है। बटवारे के मुकदमे हो या खेतो के सीमा विवाद हो सदैव के लिए समाप्त कराये जा सकते हैं ।
तहसीलदार मेवालाल ने कहा कि परिवार में विवाद होने पर सुलह समझौते पहले भी होते रहे ।गावो में पांच हुआ करते वे विवादों का फैसला कर दिया करते थे । जो कमजोर लोग हैं उन्हें शीघ्र न्याय दिलाने के लिए मध्यस्य की व्यवस्था बहुत ही कारगर व्यवस्था है । नायब तहसीलदार जनार्दन, सीएचसी के अधीक्षक डॉ जय प्रकाश ,स्वास्थ शिक्षा अधिकारी रंजीत वर्मा।अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राम सिंगार यादव, महामंत्री राजेश सिंह ।पूर्व अध्यक्ष राम सागर यादव, महेंद्र नाथ श्रीवास्तव, अवधेश नायक, उपस्थित रहे । संचालन अधिवक्ता अजय प्रताप श्रीवास्तव ने किया।