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ग्राउंड रिपोर्ट- सूर्य देवता की तपिश के आगे प्रचार अभियान पड़ा ठंडा

locationअम्बेडकर नगरPublished: May 07, 2019 05:38:57 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

लोकसभा चुनाव के छठे चरण में १२ मई को यहां चुनाव होना है

सियासी रण में साक्षर से लेकर दर्शनाचार्य तक पढ़े-लिखे दावेदार मैदान में है। साक्षर से लेकर आठवीं पास दावेदार भी मैदान में कूद चुके हैं।

Lok Sabha Election 2019 : शेखावाटी के चुनावी रण में साक्षर से लेकर दर्शनाचार्य तक

प्रदीप मौर्य

अम्बेडकरनगर. पहले के अकबरपुर और अब के अम्बेडकरनगर संसदीय सीट पर अब तक कुल 16 आम चुनाव और दो उप चुनाव हुए हैं। लोकसभा चुनाव के छठे चरण में १२ मई को यहां चुनाव होना है। पांचवें चरण के मतदान के बाद 5 मई से ही इस लोकसभा क्षेत्र में सपा बसपा गठबंधन (रितेश पाण्डे) और भाजपा (से मुकुट बिहारी) के बीच मतदाताओं को लुभाने के प्रयास शुरू तो है और यह पार्टियां मैदान में दिखाई पड़ रही हैं, लेकिन अन्य नामांकन कराए हुए प्रत्याशियों में कोई हलचल नहीं दिख रही है। कांग्रेस का पर्चा पहले ही खारिज हो चुका है।
चुनावी जनसभाओं में भाजपा की तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बसपा सुप्रीमों मायावती की जनसभाओं को यदि छोड़ दिया जाए तो इन दोनों पार्टियों की किसी भी जनसभा में भीड़ देखने को नहीं मिल रही है, जैसी भीड़ की अपेक्षा इन पार्टियों की तरफ से की जा रही है, जिसका प्रमुख कारण मौसम के बढ़े हुए तापमान को माना जा रहा है। इस समय पारा 42 पार होने के साथ ही लू के थपेड़ों में लोग घरों से नहीं निकल पा रहे हैं।
सीएम योगी और डिप्टी सीएम की जनसभाएं दिखी कमजोर

पूर्वांचल के क्षेत्र में सीएम योगी की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। योगी की दो जनसभाएं अम्बेडकर नगर में हो चुकी हैं, जिसमें भीड़ की संख्या कुछ हजार में ही सिमटी हुई दिखाई पड़ी। उनकी पहली जनसभा जिले की आलापुर विधानसभा क्षेत्र में संतकबीर नगर लोकसभा क्षेत्र के लिए और दूसरी अम्बेडकर नगर में हुई, लेकिन इस भीषण गर्मी में सामान्य भीड़ नदारद ही दिखी। यही हाल डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की टांडा में आयोजित जनसभा में देखने को मिली। बसपा की मायावती की रैली के बाद से कोई रैली नहीं हो सकी है।
मतदाता के साथ कार्यकर्ता भी पड़े सुस्त

गर्मी का असर सिर्फ चुनावी रैलियों में ही नहीं बल्कि आम मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं में भी देखने को मिल रहा है। चुनाव के गांव गांव में जनसंपर्क अभियान तो दोनों पार्टियों की तरफ से किया जा रहा है, लेकिन इस गर्मी में कार्यकर्ता भी अपना जोश नहीं दिखा पा रहे हैं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि

जिले के रूप में अस्तित्व में आने के 13 साल बाद ही अंबेडकर नगर को संसदीय सीट का दर्जा मिल गया। 2002 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद 2008 में इसे संसदीय सीट का दर्जा दे दिया गया. इसके 1 साल बाद 2009 में यहां पर पहली बार लोकसभा चुनाव कराया गया। पहले यह अकबरपुर लोकसभा सीट के रूप में जाना जाता था। 2009 के चुनाव में बसपा के राकेश पांडे ने समाजवादी पार्टी (सपा) के शंखलाल मांझी को हराया था। 2014 के चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल की और बसपा से यह सीट छीन ली।बीजेपी के हरिओम पांडे ने बसपा के उम्मीदवार राकेश पांडे को हराया था। फिलहाल यह सीट मायावती के संसदीय क्षेत्र के रूप में जानी जाती है। मायावती ने यहां से 4 बार लोकसभा चुनाव (अकबरपुर) में जीत हासिल की है। सबसे पहले वह 1989 में चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं। इसके बाद उन्होंने 1998 और 1999 में जीत हासिल की. लेकिन 2002 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी।
कुल मतदाता – 1769675
पुरुष- 949144
महिला-820468
थर्ड जेंडर – 63

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