माफिया डान खान मुबारक से रहा छत्तीस का आंकड़ा जुरगाम मेहंदी पर यह कोई पहला हमला नहीं है। लगभग दो साल पहले भी जुरगाम के ऊपर गोली मारकर जान लेने की कोशिश हुई थी, जिसमे जुरगाम बाल बाल बच गए थे। उस समय हमले का आरोप माफिया डॉन खान मुबारक का नाम सामने आया था। दर असल जुरगाम मेहंदी और खान मुबारक दोनों हंसवर थाना क्षेत्र के ही आस पास के गांव के रहने वाले हैं और इन दोनों में बर्चस्व की लड़ाई को लेकर कई बार गैंगवार की नौबत आ चुकी है। इस बार के हमले में जुरगाम मेहंदी को जान से हाथ धोना पड़ गया और इसके पीछे खान मुबारक के ही हाथ होने की आशंका जताई जा रही है।
जुरगाम ने अपनी जान का खतरा बताते हुए पुलिस से लगाई थी गुहार माफिया डॉन खान मुबारक अपनी गतिविधियों के कारण इस समय गैंगेस्टर ऐक्ट में जेल में बंद है, लेकिन बड़प नेता जुरगाम मेहंदी उससे अपनी जान का खतरा बताते हुए कुछ दिन पहले ही पुलिस के उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई थी। फिलहाल पुलिस ने उनकी सुरक्षा को लेकर क्या प्रबंध किए इसका तो पता नही चल सका, लेकिन जुरगाम की आशंका सही साबित हुई और इस बार उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी।
ये रहा जुरगाम का राजनीतिक सफर पेशे से अधिवक्ता जुरगाम मेहंदी बसपा नेता और पूर्व मंत्री लालजी वर्मा के बड़े करीबी लोगों में से थे। पिछले कार्यकाल में जुरगाम मेहंदी जिला पंचायत सदस्य रहे हैं और वर्तमान कार्यकाल में उनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुई हैं। जुरगाम मेहंदी भी क्षेत्र में काफी दबंग माने जाते रहे हैं और उनके खिलाफ भी कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।