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जिला अस्पताल की संवेदनहीनता फिर आई सामने, दर्द से तड़पती रही महिला, नहीं मिला इलाज

locationअम्बेडकर नगरPublished: Sep 20, 2018 11:25:09 am

Submitted by:

Ruchi Sharma

कैसे सफल होगा पीएम का आयुष्मान योजना

ambedkar nagar

जिला अस्पताल की संवेदनहीनता फिर आई सामने, दर्द से तड़पती रही महिला, नहीं मिला इलाज

अम्बेडकर नगर. प्रदेश और देश में गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का दावा करने वाली प्रदेश और केंद्र की सरकार के दावों की हकीकत अक्सर सरकारी अस्पतालों में देखने को मिलती रहती हैं। हजारों रुपये महीने के तनख्वाह लेने वाले सरकारी डॉक्टर, नर्स और दर्जनों की संख्या में स्टाफ के साथ साथ लाखों करोड़ों रुपये के दवाओं और संसाधनों के बजट के बाद भी गरीबों को सुविधा के नाम पर कुछ भी नसीब नहीं हो पा रहा है।
सरकार एक तरफ गरीबों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा देने के साथ ही 5 लाख रुपये तक के इलाज का स्मार्ट कार्ड आयुष्मान भारत योजना के तहत बना रही है, वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग का रवैया किसी भी हाल में बदलता हुआ दिखाई नहीं पड़ रहा है। कहीं किसी महिला को अस्पताल से भगाए जाने के बाद शौचालय में उसकी डिलेवरी हो रही है तो कहीं कोई बुजुर्ग महिला का पैर टूटने के बाद भी अस्पताल का कोई स्टाफ मदद में आने के लिए मौजूद नहीं हैं।

करोड़ों रुपये के बजट के बीच नहीं बदल रही है तस्वीर


अम्बेडकर नगर संयुक्त जिला चिकित्सालय के साथ ही जिले भर के सभी सीएचसी और पीएचसी पर जहां एक तरफ मरीजों के इलाज व देख रेख के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाये जा रहे है तो वही दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। पैर में प्लास्टर लगा अस्पताल के बाहर दर्द से कराह रही वृद्ध महिला को देखने के बाद जिला अस्पताल पर कई सवाल खड़े हो गए है, जहां पर चोट से घायल महिला के परिजन इलाज कराने पहुंचे थे। वृद्ध महिला के पैर में फैक्चर होंने की वजह से डॉक्टरों ने पैर में प्लास्टर तो बांध दिया, लेकिन महिला को भर्ती वार्ड में न शिफ्ट कर अस्पताल गेट के बाहर कर दिया।
घंटों दर्द से तड़पती रही महिला, मीडिया के पहुंचने पर भर्ती किया वार्ड में


प्लास्टर बांधने के बाद अस्पताल से बाहर निकाल दिए जाने पर जमीन पर पड़ी वृद्ध महिला घंटों दर्द से तड़पती रही और परिजन वार्ड में भर्ती करने को लेकर इधर से उधर भटकते रहे। करीब दो घंटे के बाद परिजन खुद स्ट्रेचर लेकर आये और पीड़ित महिला को स्ट्रेचर पर लादकर वार्ड में ले गए। इस दौरान अस्पताल का कोई भी कर्मचारी मौजूद नहीं रहा। इस दौरान जब मीडिया कर्मियों की नजर इस बुजुर्ग महिला के बिगड़ती हालात पर पड़ी और कैमरा चलना शुरू हुआ तो विभाग के कर्मचारी आनन फानन में महिला को भर्ती कर लिए। सवाल यह उठता है कि सरकार गरीबों के लिए मुफ्त इलाज के लिए करोड़ों रुपये का बजट देती है, उसके बाद भी उन्हें अगर इलाज नहीं मिल पा रहा है तो फिर बजट किसी जेब में जा रहा है। अस्पताल परिसर की ये तस्वीरें जिला अस्पताल पर कई सवाल खड़े कर दिए है।
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