एआरटीओ दफ्तर पर छापा, विभाग में मचा हड़कंप
प्रत्येक पटल पर बाबू ने रखे थे निजी कारीगर, प्रशासन के अगले कदम पर लोगों की निगाह

उन्नाव. उपसंभागीय परिवहन कार्यालय में जिलाधिकारी द्वारा की गयी छापामार कार्यवाही से विभाग में हड़कंप मचा है। विभाग अपने कर्मियों के बचाव के साथ आगे की रणनीति पर अमल कर रहा है। जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन सिस्टम को बिगाड़ने वाले कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही करता है या फिर केवल उनके द्वारा रखे गये निजी कारीगर के खिलाफ ही कार्यवाही करके अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेगा।
वैसे यह बात किसी से छिपी नहीं है कि जनपद ही नहीं प्रदेश में ऐसा कोई भी उपसंभागीय परिवहन कार्यालय नहीं होगा जहां दलालों का वर्चस्व के साथ निजी कारीगर कार्य न कर रहे हो। निजी कारीगर के रूप में कार्य करने वालों के कारण समस्या और भी नासूर बन गयी है। परंतु ये निजी कर्मी विभागीय बाबुओं द्वारा ही कुर्सी में बैठाये गये है। जिनके आदेश से ही निजी कर्मी फाइलों को निपटाते है।
कर्मचारियों का है टोटा, 32 के मुकाबलें 9 कर्मचारी है कार्यरत
यह भी कड़वी सच्चाई है कि सरकारें आयी और चली गयी। परंतु विभाग की आवश्यकतानुसार कर्मियों की नियुक्त नहीं हो पायी। इस संबंध में बातचीत के दौरान उपसम्भागीय परिवहन अधिकारी ने बताया कि कुल 13 पद स्वीकृत हैं। जिनमें नौ कर्मी ही मौजूद है। जिनमें वरिष्ठ व कनिष्ठ सहायक के रूप तीन तीन कर्मचारी मौजूद है। वहीं चपरासी के रूप में दो और लेखाकार एक है। जबकि उनकी मांग 23 की है। जिसमें वरिष्ठ के रूप में नौ, कनिष्ठ के रूप में 16 के साथ चौकीदार पांच और एक लेखाकार की मांग की गयी है। उन्होने बताया कि आरआई की पोस्ट विगत छह माह से खाली है। जिससे भी काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। फिलहाल लोगों की निगाह इस बात पर है कि प्रशासन विभागीय कर्मियों को बचाते हुये एक पक्षीय कार्यवाही करता रहेगा या फिर उनके खिलाफ भी कार्यवाही की सोच रहे है।
फाईल दे सकती है गवाही, 22 के बाद 18 के खिलाफ एआरटीओ ने दी तहरीर
उपसंभागीय परिवहन कार्यालय जो जनपद में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले विभागों में से एक है। परंतु यहां पर की अनियमिततायें जग जाहिर है। विगत शनिवार से लगातार विभाग में अफरातफरी का माहौल है। दलालों और निजी कारीगरों के सहारे चलने वाला यह विभाग आज सरकारी कर्मियों पर पूर्णता निर्भर है। यहां की दलाली भी सरकारी फीस की कई गुणा होती थी। जिसका लालच सरकारी कर्मियों के साथ निजी कारीगरों को भी था। जहां पैसे की वर्षा होती थी।
अभी तक साहब बन कर रोब झाड़ने वाले तमाम कर्मियों को अब कुर्सी में बैठकर कार्यालय में आने वालों को समझना पड़ रहा है। वरन् स्थानीय एआरटीओ कार्यालय में ऐसे तमाम बाबू के स्थान पर विगत कई वर्षो से उनके निजी कारीगर काम कर रहे थे। इनमें से कई तो एक दशक से ज्यादा समय से काम कर रहे है। ऐसा नहीं है कि मीडिया में इनकी चर्चा न हुयी हो। परंतु उस समय ऐसा जिलाधिकारी नहीं था जो सीधे चोट करे।
22 के बाद 18 के खिलाफ एआरटीओ ने दी तहरीर
वैसे इसके पूर्व वर्चस्व की लड़ाई में कई बार गोली बारी की घटना हो चुकी है। परंतु इस बार की तरह कार्यवाही विगत में नहीं हुयी है। जिसमें अभी तक कुल 23 के खिलाफ कार्यवाही करके जेल भेजा जा चुका है। जबकि 18 और दलाल और बाबू के निजी कारीगर जो जांच का विषय है के नाम भी शामिल किये गये है।
एआरटीओं की तरफ से दी गयी तहरीर में जिन अन्य नामों को शामिल किया गया है उनमें विक्रम यादव, राज यादव, प्रवीन शुक्ला, संजय सिंह, छोटे बाजपेई, बडे़ बाजपेई, फिरोज, उमेश, विकास, लक्ष्मी, नसीम, कासिफ, रवि सिंह, अनुज मिश्रा, पंकज मिश्रा, अटल बिहारी बाजपेई, वीरू, सतीश गुप्ता के नाम शामिल है। जिनकी गिरफ्तारी के लिये पुलिस कार्यवाही कर रही है।
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