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मोहक सुरों में एक दूसरे को पटखनी दे रहे हैं राजनीतिक दल

locationअम्बेडकर नगरPublished: May 01, 2019 04:25:34 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– चुनावों में संगीतमय पार्टीबंदी- बीजेपी और गठबंधन की रैली में बज रहे अलग-अलग संदेश

Akhilesh Yadav

मोहक सुरों में एक दूसरे को पटखनी दे रहे हैं राजनीतिक दल

पत्रिका ग्राउंड रिपोर्ट
महेंद्र प्रताप सिंह

अंबेडकरनगर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन में अभी देर है। लाउडस्पीकर पर भोजपुरी गीत बज रहा है-
दिल्ली मा बीजेपी का झंडा फिर लहराई
बुआ-बबुआ राहुल जी के गठबंधन बिखर जाई
इस गीत पर पसीने से सराबोर कुछ युवक थिरक रहे हैं। इस गीत के खत्म होते ही रिकॉर्ड पर दूसरा गीत बजने लगता है-

अइबे जबसे मोदी नाहीं बोले पाकिस्तान हो,
देशवा-विदेशवा मा मिले सम्मान हो
इस भोजपुरी गीत को बजाते समय लाउडस्पीकर की ध्वनि कुछ तेज हो जाती है। सेना की वर्दी पहने, पीएम मोदी का मुखौटा लगाए युवक राष्ट्र भक्ति के कुछ प्रसिद्ध गानों की तर्ज पर नाचने लगते है। उप्र के चुनावों में खासकर पूर्वी यूपी में लोकगीत मतदाताओं को रिझाने में बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं। रायबरेली, प्रतापगढ़, बाराबंकी और अयोध्या में जहां अवधी लोकगीतों की मांग रहती है वहीं आजमगढ़, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया से लेकर मिर्जापुर तक भोजपुरी गीतों के जरिए प्रचार किया जाता है। इसी तरह बुंदेलखंड में बुंदेली में विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवारों की जीत के जोशीले गीत बज रहे हैं। पूर्वांचल में तो इस बार चुनावी लोकगीतों की बहार सी आयी है। बात चाहे वाराणसी की हो, गोरखपुर या फिर आजमगढ़ की। हर जगह भोजपुरी गीतों के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर मतदाताओं तक में जीत का जोश भरा जा रहा है।
BJP
आज़मगढ़ में भोजपुरी सिनेमा के कलाकार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ और गोरखपुर में भोजपुरी फिल्मों के एक और लोकप्रिय कलाकार रवि किशन चुनाव लड़ रहे हैं। गोरखपुर में 2009 के चुनावों में भोजपुरी गायक मनोज तिवारी सपा से उम्मीदवार थे। तब यहां खूब चुनावी बिरहा गाया था। अब यह तीनों कलाकार भाजपा में हैं। जाहिर है पूर्वांचल में भोजपुरी बिरहा की बहार आयी हुई है। शादियों से लेकर चुनावी रैलियों तक सभी जगह संगीतमय पार्टीबंदी जारी है। संगीत की धुन पर भाजपा,कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार एक दूसरे को पटखनी देने में जुटे हैं। भाजपा की यह गीत खूब लोकप्रिय हो रहा है-

अइबे जबसे मोदी नाहीं बोले पाकिस्तान हो,
देशवा-विदेशवा मा मिले सम्मान हो

Akhilesh
बाराबंकी. बाराबंकी में गठबंधन की रैली का एक दृश्य। बसपा प्रमुख मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव यहां संयुक्त रैली कर रहे हैं। यहां भी एक गीत गूंज रहा है-
बुआ ओ भतीजा मिल गइले, मिट जाई सगरी क्लेश
हथिया से आवेली बहिनिया, चढि़ साइकिल अखिलेश

इसी तरह के कुछ और चुनावी स्वर जो बेहद ही तात्कालिक मौजूं हैं उन्हें कांग्रेस,सपा-बसपा और भाजपा की रैलियों में सुना जा सकता है। इन गीतों में चुनावी उठा-पटक है। एक दूसरे पर कटाक्ष है। यह गीत मतदाताओं की जुबान पर भी चढ़ गए हैं। चुनावी रैलियों में आने वाले कुछ लोग तो सिर्फ चुनावी गीतों का आनंद लेने ही आते हैं। चुनावी जंग का बखान करते यह गीत कभी-कभी अपनी सीमाएं भी लांघ रहे हैं। इनमें आलोचना के स्वर काफी तीखे और अश्लील हैं। लेकिन, इन पर नजर चुनाव आयोग की नहीं है। इस गीत में भाजपा उम्मीदवार दिनेश लाल उर्फ निरहुआ पर तंज कसा गया है-
झुठवन के बात पे भुला गइला निरहू
चापि गठबंधन तो जुड़ाय जईबा निरहू

Sanajwadi Party
बिरहा गायन के बेताज बादशाह थे बलेश्वर यादव। इस भोजपुरी गायक का चुनाव प्रचार में सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने खूब किया। बलेश्वर के शिष्य और उनकी पीढ़ी को आगे बढ़ाने वाले ज्यादातर यादव हैं। इसलिए इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के ज्यादा बिरहा सुनने को मिल रहे हैं। खास बात यह है सपा-और बसपा के बीच की पुरानी कड़ुवाहट को भुलाने वाले गीत खूब बज रहे हैं। इस तरह के गीत चुनावी रैलियों में तो बज ही रहे हैं। यू ट्यूब और अन्य सोशल मीडिया टूल्स पर भी खूब पसंद किए जा रहे हैं। मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव निरहुआ और रवि किशन जैसे भोजपुरी चेहरे जो अब नेता बन चुके हैं के अलावा विजय लाल यादव, धर्मेद्र यादव,बिट्टू सावन और बुंदेली गायिका संजो बघेल जैसे तमाम लोग इन गीतेां को लिख और गा रहे हैं। भाजपा के समर्थन में बने गीतों में राष्ट्रवाद, सेना-देशप्रेम और सम्मान जैसे मुद्दे के अलावा मोदी की कार्य-कुशलता का गुणगान है। तो सपा-बसपा के पक्ष में लिखे गए गीतों में दोनों ही दलों की एकता की बात की जा रही है। इसके साथ समाजवाद और अंबेडकरवाद को एक साथ दिखाने की कोशिश हो रही है। सपा-बसपा गठबंधन के लिए लिखे गए एक लोकगीत के बोल हैं-
लोहिया जी के शिष्य मुलायम, कृष्ण-कन्हाई भेष हैं
रणचंडी है बहन हमारी, वीर लोरिक अखिलेश हैं

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