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इस सीट से बसपा प्रत्याशी ने लौटाया टिकट, इस महिला नेता को टिकट मिलने की तैयारी, कई नेताओं के अरमानों पर फिरा पानी

locationअम्बेडकर नगरPublished: Aug 30, 2019 02:10:04 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

-बसपा के इस गढ़ में टिकट पर सस्पेंस बरकरार-प्रत्याशी को लेकर हलचल हुई तेज
-इस सीट से प्रत्याशी ने लौटाया टिकट तो इस महिला नेता को टिकट देने का किया एलान, कई नेताओं के अरमानों पर फिरा पानी

इस सीट से बसपा प्रत्याशी ने लौटाया टिकट, इस महिला नेता को टिकट मिलने की तैयारी, कई नेताओं के अरमानों पर फिरा पानी

इस सीट से बसपा प्रत्याशी ने लौटाया टिकट, इस महिला नेता को टिकट मिलने की तैयारी, कई नेताओं के अरमानों पर फिरा पानी

ग्राउंड रिपोर्ट
अम्बेडकर नगर. लोकसभा चुनाव में अम्बेडकर नगर सीट पर बसपा के रितेश पांडेय द्वारा जीत दर्ज किए जाने के बाद जिले की जलालपुर विधानसभा सीट खाली हो गई है। इस सीट से उपचुनाव होने है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने पूर्व सांसद राकेश पांडेय को बुधवार को प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। बताते चलें कि राकेश पांडेय अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट पर पहले सांसद निर्वाचित हो चुके हैं, लेकिन 2014 की मोदी लहर में वे चुनाव हार गए थे और 2019 लोकसभा चुनाव में उनके पुत्र रितेश पांडेय ने भाजपा के मुकुट बिहारी वर्मा को पटखनी देकर यह सीट बसपा की झोली में डाल दिया। इसी बात से यह लगभग तय माना जा रहा था कि जलालपुर विधानसभा सीट पर उप चुनाव राकेश पांडेय ही लड़ेंगे, लेकिन उनके पुत्र रितेश पांडेय ने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि उप चुनाव राकेश पांडेय नहीं लड़ेंगे। अब बसपा में भी जलालपुर से टिकट के लिए दावेदारों की लंबी फेहरिस्त बताई जा रही है, जिसमें एक नाम पूर्व मंत्री लालजी वर्मा की सुपुत्री डॉ छाया का भी सामने आ रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में डॉ छाया ने अपने पिता लालजी वर्मा की जीत सुनिश्चित करने के लिए कटेहरी विधानसभा सीट चुनाव प्रचार कर लालजी को जीत दिलाई थी।
2017 के विधानसभा चुनाव में जलालपुर की ऐसी हुई थी हालत

जब पूरे प्रदेश में मोदी, योगी और भाजपा की लहर चल रही थी, उस समय भी बसपा अम्बेडकर नगर जिले की पांच विधानसभा सीट में से तीन पर कब्जा कर लिया था। जलालपुर उनमे से एक विधानसभा क्षेत्र है। इस विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण के अनुसार ब्राम्हण के साथ सामान्य जाति के मतदाताओं के अलावा पिछड़ी जाति, मुस्लिम और अनुसूचित जाति के लोग हैं, जिसमे सबसे बड़ी तादात मतदाताओं की अनुसूचित जाति की संख्या लगभग 22 प्रतिशत से अधिक माना जाता है।
इसके अलावा सामान्य जाति ब्राम्हण आदि 15 प्रतिशत, पिछड़ी जाति के कुर्मी, मुराव, यादव समेत लगभग 15 जातियों की संख्या लगभग 30 प्रतिशत हैं। मुस्लिम मतदाता भी इस विधानसभा क्षेत्र में अधिक है, जिनका प्रतिशत लगभग 18 से 20 प्रतिशत है। बसपा अपनी सोशल इंजीनियरिंग से मुस्लिम, ब्राम्हण और दलित के साथ साथ पिछड़ी जाति के कुछ जातियों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब रही। यही वजह है कि बसपा विधानसभा और लोकसभा में भी इस सीट से चुनाव में बढ़त बना ली थी।
बसपा से पहले सपा का रहा जलालपुर में कब्जा

जलालपुर विधानसभा सीट ऐसी अकेली सीट इस जिले की है, जहां के सर्वमान्य नेता शेरबहादुर सिंह रहे हैं, ये मूल रूप से कांग्रेस पार्टी के नेता रहे हैं, लेकिन 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण वे निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत गए थे। 2017 से पहले भी शेरबहादुर सपा के टिकट पर यहां चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन 2017 के चुनाव में उनके स्थान पर उनके पुत्र डॉ राजेश सिंह भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर हार चुके हैं। 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा से शेरबहादुर सिंह यहां से विधान सभा चुनाव जीत चुके है।
पिछले तीन बार के चुनाव मे राजनीतिक स्थिति

2017- रितेश पांडेय-बसपा
2012- शेर बहादुर सिंह-सपा
2007-शेर बहादुर सिंह-बसपा

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