2017 के विधानसभा चुनाव में जलालपुर की ऐसी हुई थी हालत जब पूरे प्रदेश में मोदी, योगी और भाजपा की लहर चल रही थी, उस समय भी बसपा अम्बेडकर नगर जिले की पांच विधानसभा सीट में से तीन पर कब्जा कर लिया था। जलालपुर उनमे से एक विधानसभा क्षेत्र है। इस विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण के अनुसार ब्राम्हण के साथ सामान्य जाति के मतदाताओं के अलावा पिछड़ी जाति, मुस्लिम और अनुसूचित जाति के लोग हैं, जिसमे सबसे बड़ी तादात मतदाताओं की अनुसूचित जाति की संख्या लगभग 22 प्रतिशत से अधिक माना जाता है।
इसके अलावा सामान्य जाति ब्राम्हण आदि 15 प्रतिशत, पिछड़ी जाति के कुर्मी, मुराव, यादव समेत लगभग 15 जातियों की संख्या लगभग 30 प्रतिशत हैं। मुस्लिम मतदाता भी इस विधानसभा क्षेत्र में अधिक है, जिनका प्रतिशत लगभग 18 से 20 प्रतिशत है। बसपा अपनी सोशल इंजीनियरिंग से मुस्लिम, ब्राम्हण और दलित के साथ साथ पिछड़ी जाति के कुछ जातियों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब रही। यही वजह है कि बसपा विधानसभा और लोकसभा में भी इस सीट से चुनाव में बढ़त बना ली थी।
बसपा से पहले सपा का रहा जलालपुर में कब्जा जलालपुर विधानसभा सीट ऐसी अकेली सीट इस जिले की है, जहां के सर्वमान्य नेता शेरबहादुर सिंह रहे हैं, ये मूल रूप से कांग्रेस पार्टी के नेता रहे हैं, लेकिन 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण वे निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत गए थे। 2017 से पहले भी शेरबहादुर सपा के टिकट पर यहां चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन 2017 के चुनाव में उनके स्थान पर उनके पुत्र डॉ राजेश सिंह भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर हार चुके हैं। 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा से शेरबहादुर सिंह यहां से विधान सभा चुनाव जीत चुके है।
पिछले तीन बार के चुनाव मे राजनीतिक स्थिति 2017- रितेश पांडेय-बसपा
2012- शेर बहादुर सिंह-सपा
2007-शेर बहादुर सिंह-बसपा