हालत इतनी बदतर है कि क्षेत्र में सभी जलाशय, तालाब और पोखरे सूखे हुए हैं। सबसे खराब हाल जिले के आलापुर तहसील क्षेत्र का है, जहां किसी समय रियासत के लोग गाय और अन्य जानवरों के साथ साथ पक्षियों के लिए पोखरे खुदवाए थे, जिससे वे गर्मी से बचाव के लिए पानी पा सकें, लेकिन ऐसे तालाब भी सूख चुके हैं। ऐसे ही एक प्रसिद्ध तालाब गैया जिबक पोखरा भी है, जो गायों के लिए किसी रजवाड़े ने बनवाया था और वह भी इस समय सूखा हुआ था। इसी तालाब को युवाओं की एक टोली भगीरथ बनकर गंगा उतारने का प्रयास कर रही है।
इस तरह तालाब में युवाओं ने भरा जल आलापुर तहसील क्षेत्र के दर्जनों युवाओं नें जल संरक्षण की दिशा में अपना प्रयास शुरू कर दिया है। आलापुर तहसील मुख्यालय के ठीक सामने स्थित लगभग सैकड़ों वर्ष पुराने गैयाजी के पोखरे में जल संरक्षण के लिए युवाओं नें बेहतर तरकीब निकाली है। रामनगर बाजार निवासी दुष्यंत यादव, आलोक कुमार, राजेश कुमार मिश्रा, श्याम सुंदर गौंड़, प्रदीप कुमार पिंटू, समेत कई अन्य युवाओं ने माइनर से लगभग 200 मीटर लंबी नाली की खुदाई कर बिना किसी प्रतिफल के पानी माइनर से लालब तक पहुंचा रहे हैं। इस तरह से युवाओं द्वारा पोखरे में जल संरक्षण का प्रयास लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
पशु पक्षियों को गर्मी से मिल रही है राहत जल संरक्षण के इस प्रयास से जहां भीषण गर्मी से बेहाल पशु पक्षियों को राहत मिली है। वहीं जल स्तर में सुधार होने की भी संभावना बढ़ गई है। दुष्यंत यादव ने बताया कि सभी को छोटे छोटे प्रयास के जरिए वर्षा के जल एवं माइनर के जल को पोखरे में संरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए जिससे भूजल स्तर को सुधारा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि बीते 3 वर्षों से वह गैया जी के पोखरे में माईनर के जल के माध्यम से जल संरक्षण का प्रयास करते हैं।