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जिस काम को देखकर आंख वालों को आ जाता है पसीना, उसे चुटकियों में करते हैं यह जन्मांध भाई

locationअम्बेडकर नगरPublished: Dec 02, 2018 03:57:53 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

अंबेडकरनगर के इन जन्मांध भाइयों का टैलेंट देखकर आप भी कहेंगे वाह-वाह, वीडियो में देखें- ऐसा है इनका हुनर

special story tanda ambedkar nagar

जिस काम को देखकर आंख वालों को आ जाता है पसीना, उसे चुटकियों में करते हैं यह जन्मांध भाई

अम्बेडकर नगर. कौन कहता है आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों…। यह लाइनें अंबेडकरनगर जिले के तीन सगे भाइयों पर सटीक बैठती हैं। जन्मांध तीन भाइयों (अख्तर हुसैन (55), मोहम्मद सलीम (38), अर्से आलम (32)
) को भले ही सरकार की तमाम योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल रहा हो, लेकिन उन्होंने खुद को कभी लाचार नहीं समझा, बल्कि आगे बढ़कर परिवार का खर्च उठा रहे हैं। बिना आंखों के ही इन भाइयों ने न सिर्फ पावरलूम पर कपड़े बनाना सीख लिया, बल्कि अगर पावरलूम में कोई भी दिक्कत हो, वह उसे पूरा खोलकर उसकी मरम्मत करने में भी माहिर हैं।
जिले के बुनकर बाहुल्य क्षेत्र टांडा के मुसहां मुहल्ले में इनका घर है, जहां चारों तरफ पावर लूम ही पावर लूम है। यहां पावरलूम की खटर-पटर के बीच तीन सगे भाई भी रहते हैं, जो जन्मजात अंधे हैं। अपने भाई की कपड़ा फैक्ट्री में यह तीनों दिव्यांग भाई कपड़े बनाते हैं और उससे होने वाली आमदनी से अपना खर्च चलाते हैं। तीनों की शादी हो चुकी है। पत्नी और बच्चों की जिम्मेदारी भी यह बखूबी निभाते हैं।
घनी आबादी होने के कारण मुसहां की तंग गलियों में चलना आसान नहीं है, लेकिन बचपन से इसी मुहल्ले में गुजर-बसर करने वाले इन भाइयों की ऐसी आदत पड़ गई है कि गलियों में न सिर्फ ये बेधड़क चलते हैं, बल्कि रास्ते की नालियों को ऐसे पर करते हैं जैसे सब कुछ दिखाई पड़ रहा है। घर की जरूरत का सामान भी यह मोहल्ले की दुकानों से न सिर्फ ये खरीद लाते हैं, बल्कि सामान का भुगतान करने के साथ ही ये सिक्कों और नई पुरानी नोटों की पहचान बखूबी कर लेते हैं। इसके अलावा ये तीनों भाई मोहल्ले की मस्जिद में पांचों वक्त की नमाज भी पढ़ने जाते हैं। इनके इस हुनर को देखकर हर कोई ढंग रह जाता है।
सरकार की योजनाओं के नाम पर सिर्फ राशनकार्ड
इतना हुनरमंद होने के बावजूद इन दिव्यांग भाइयों की आर्थिक हालत बेहद खराब है। सरकार की योजनाओं में इनके नाम पर सिर्फ गरीबी रेखा से नीचे का राशनकार्ड (बीपीएल) मौजूद है। सरकार की तमाम योजनाएं गरीबों और दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन की ओर इन्हें कोई मदद नहीं मिली। टीन शेड में गुजर बसर करने वाले इन भाइयों ने चार बार प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन किया, लेकिन इनका आरोप है कि नगर पालिका के कर्मचारी इनसे अवैध धन की मांग करते हैं और न देने पर उनका नाम सूची में नहीं डालते हैं। इन भाइयों के पास रहने को घर नहीं है, जहां लूम चलाते हैं वहीं बने छोटे से टीन सेड में रहते है, जिसमें सही से खड़े होने की जगह तक नहीं है। बारिश में भीगने के सिवाय इनके पास और कोई रास्ता नहीं है।
देखें वीडियो…

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