शिक्षा के मंदिर में पढ़ने वाले बच्चों के हाथ में अगर हथौड़ा और छेनी थमा दिया जाय तो फिर आप क्या सोचेंगे। क्या आपके बच्चे ईंट और पत्थर तोड़ने वाले उस छेनी और हथौड़े से अपने आगे का भविष्य तय कर पाएंगे या फिर आपके संजोये हुए सपनों को साकार कर पाएंगे, यह एक बहुत ही बड़ा और गंभीर प्रश्न है, जो आपके लिए है आपके बच्चों के लिए है और इस देश में पढ़ने वाले हर बच्चों के लिए है। क्या ऐसे स्कूल में आप अपने बच्चों को पढ़ाना चाहेंगे।
जिला मुख्यालय पर ही बच्चों से लिया जाता है मजदूरों जैसा काम
यह मामला किसी ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय का नहीं बल्कि अम्बेडकरनगर के जिला मुख्यालय पर स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय अकबरपुर का है। इस विद्यालय की ख़ास बात यह है कि जब अम्बेडकर नगर जिले गठन किया गया तो सबसे पहले इसी विद्यालय को बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय बनाया गया था और गत तीन चार वर्षों से बी एस ए कार्यालय अपने निजी भवन में स्थानांतरित किया जा चूका है। वैसे तो यह विद्यालय जिला मुख्यालय पर ही है, जहाँ डी एम, एस पी से लेकर बी एस ए, डी आई ओ एस समेत सभी विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी रहते है, लेकिन वावजूद इसके न तो यहाँ के अध्यपकों में अधिकारीयों का कोई खौफ है और न ही इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के प्रति कोई सहानुभूति, बल्कि यहाँ पढ़ने आये बच्चों से यहाँ पढ़ाने वाले बेरहम टीचर बच्चों के नाजुक हाथों में हथौड़ा और छीनी थमाकर इन मासूम बच्चों से ईंट और पत्थर तोड़वाने का काम करते है, जो आप खुद इस वीडियो में देख सकते है ।
अगर आप अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे है तो फिर सावधान हो जाइये, क्योंकि यहाँ आपके बच्चों को शिक्षा नहीं बल्कि शिक्षा के नाम पर मजदूरी करने का काम दिया जाता है । एक तरफ सरकार बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए सरकारी विद्यालयों को हर् सुख सुविधा से लैस कर रही है तो वही इन्ही स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापक सरकार के मंसूबों में पलीता लगा रहे है ।
सवाल पर भड़क गए मास्टर साहब, कहा तोड़ देंगे कैमरा
गरीब घरों के इन मासूम बच्चों को शिक्षा देने के बजाय जब यहाँ के हालात हमने कैमरे में कैद किया। जब इस सम्बन्ध में वहां के प्रधानाध्यापक से बच्चों से काम कराये जाने के बारे में जब पुछा तो मास्टर साहब कुछ बताने के बजाय हम पर ही भड़क गए और न जाने क्या क्या उल्टा सीधा सुनाना शुरू कर दिया । जब उनसे उनका नाम जानने का प्रयास किया गया तो मास्टर साहब इस कदर नाराज हो गए कि वे सीधे धमकी देते हुए कहने लगे कि भाग जाओ, कैमरा बंद कर लो नहीं तो अभी कैमरा ही तोड़ दिया जाएगा।
चूंकि यह मामला गरीब बच्चों के भविष्य से जुदा हुआ है और ऐसे बच्चों के लिए सरकार भी काफी कुछ करना चाहती है, जिसके लिए लाखों रूपये एक एक विद्यालय पर अध्यापकों को तनख्वाह दे रही है और इस अध्यापकों पर नियन्त्र्ण रखने के लिए बड़े बड़े अधिकारी तैनात कर रखे हैं। इसीलिए इस मामले को लेकर जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से जानकारी लेकर शिक्षा की ऐसी दुर्दशा के बारे में जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया गया।